मानव जीवन में सूरज का बहुत महत्व है। बिना सूरज के हमारा कोई वजूद नही है। सूरज के कारण ही हमारे सौरमंडल के ग्रहों पर दिन एवं रात सम्भव है। सूरज के कारण ही धरती का तापमान मानव जीवन के लिए अनुकूलित बना है तथा पेड़ पोधे भी सूरज से मिलने वाली ऊर्जा के कारण ही जीवित रहते है। हमारे सौरमंडल का तारा सूरज अत्यधिक गर्म और आकर में बड़ा है। हिन्दू धर्म में सूरज को भगवान माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है। धरती सूरज के चक्कर लगती है जिस कारण यहा दिन और रात होते हैं। आज हम जानेगें की सूरज धरती से कितना दूर है?
सूरज की संरचना
वैज्ञानिको का कहना है कि सूरज की उत्पत्ति साढे 4 अरब साल पहले आकाशगंगा में उपस्थित विशाल गैस के बादल के हिस्से के ढहने से हुई थी। सूरज अभी और 5 अरब सालो तक मोजूद रहेगा। सूरज का आकर पृथ्वी से लगभग 100 गुना है। सूर्य का व्यास लगभग 1400000 किलोमीटर है।सूर्य की सतह का तापमान 5500.85 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा है। सूरज के अन्दर लगभग 73% तक हाइड्रोजन और 25% हीलियम मोजूद है।
सूरज धरती से कितना दूर है?
वैज्ञानिकों के अनुसार सूरज की धरती से दुरी लगभग 149,597,870 (14.96 करोड़) किलोमीटर है।और यदि मिल में जाए तो पृथ्वी से सूरज की दूरी लगभग 92,955,807 मील है। सौरमंडल में सूर्य के सबसे निकल बुध गृह स्थित है व दुसरे स्थान पर शुक्र और तीसरे स्थान पर हमारी पृथ्वी स्थित है इसी प्रकार कुल 8 गृह हमारे सौरमंडल में मौजूद है।
FAQs
सबसे पहले धरती से सूरज की दुरी के बारे में हनुमान चालीसा में जानने को मिलता है। हनुमान चालीसा की रचना तुलसीदास जी ने की थी।
सूरज की धरती से दुरी लगभग 149,597,870 (14.96 करोड़) किलोमीटर है।
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