हिंदू धर्म में शादी से पहले कई रस्में होती हैं जो काफी महत्व रखती हैं। लड़के और लड़की की शादी से पहले विभिन्न पहलुओं को देखा और आंका जाता है, जिसमें उनकी कुंडली का मिलान, गुण आदि भी शामिल है। विवाह तभी उपयुक्त माना जाता है जब वर-वधू के बीच कम से कम 18 गुण मिलते हों। यदि कुल 36 में से 18 से 21 गुण हों तो मेल को औसत माना जाता है। जब अधिक गुण मौजूद होते हैं, तो इसे शुभ विवाह माना जाता है। किसी भी वर-वधू में सभी 36 गुण मिलना बेहद असामान्य है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, केवल भगवान श्रीराम और सीता में ही सभी 36 गुण मिले थे। यदि कुंडली मिलान का परिणाम 18 गुण, विशेषकर 17 गुण से कम हो तो विवाह करने से बचना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ऐसी शादी खुशियां नहीं लाती । आगे आप जानेंगे कि 36 गुण कौन-कौन से हैं?
36 गुण कौन-कौन से हैं?
36 गुणों में नाड़ी के 8 गुण, भकूट के 7 गुण, गण मैत्री के 6 गुण, ग्रह मैत्री के 5 गुण, योनि मैत्री के 4 गुण, ताराबल के 3 गुण, वश्य के 2 गुण और वर्ण के 1 गुण का मिलान होता है. इस प्रकार से कुल 36 गुण होते हैंं।
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