जैसा की हम जानते हैं कि गर्भधारण के नौ माह के बाद बच्चे का जन्म होता है, इस समय में गर्भ में बच्चे के सभी अंगो का विकास होता है, इसे पूरा होने में पुरे नौ माह का समय लगता है इस बीच माँ का स्वास्थ्य का ख्याल रखना बेहद जरुरी होता है। यदि माँ के स्वास्थ्य में किस तरह की गडबड होती है तो इसका सीधा असर बच्चे के विकास पर पड़ता है, कई बार कुछ कारण से बच्चे की डिलीवर नौ माह के पहले ही होती है जिस कारण बच्चे को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, बहुत सी महिला 36 सप्ताह में ही बच्चे को जन्म दे देती है, इसके कई शारीरिक कारण हो सकते हैं। अगर आप 36 सप्ताह में कितने महीने होते हैं यह जानना चाहते हैं तो आप बिलकुल सही जगह पर आ पहुचे हैं।
36 सप्ताह में कितने महीने होते हैं?
यह गर्भावस्था का सबसे महत्वपूर्ण सप्ताह होता है। 36 सप्ताह में लगभग सवा आठ महीने होते हैं यानिकी प्रेग्रेंसी का नवां महीना प्रारम्भ हो चुका है।
इस माह में गर्भवती महिला के शरीर में भी काफी परिवर्तन होते है जैसे वजन में वृद्धि, पेट का आकार काफी बड़ा हो जाता है आदि। यह माह शिशु के लिए भी महत्वपूर्ण है इस समय शिशु विकास चरम पर होता है, शिशु का वजन 2.6 किलो तक हो जाता है तथा इसकी लम्बाई 47.4 सें.मी. यानिकी 18.7 इंच तक हो चुकी होती है। इसका अर्थ होता है की शिशु का जन्म कभी भी हो सकता है, आप को जानकर हैरानी होगी कि मात्र 5 प्रतिशत बच्चो का जन्म ही डॉक्टर्स की बताई तारीख पर होता है।
यदि बच्चे का जन्म जल्दी हो जाता है 34 और 36 सप्ताह के बीच पैदा हुए बच्चे लेट प्रीटर्म वाले होते हैं। जो जिन्हें कई तरह की स्वस्थ्य सम्बन्धित समस्याएँ हो सकती है, जल्दी डिलीवर के कई कारण होते हैं जिसमे मुख्य कारण प्रीमैच्योर लेबर या पानी की थैली जल्दी फटना शामिल है। कोई भी अपनी मर्जी से जल्दी डिलीवर नहीं करवा सकता है पर इन कारणों से डॉक्टर्स को डिलीवर करना पडती है और बच्चे के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, 36 सप्ताह में जन्मे बच्चे में रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम, सेप्सिस, पेटेंट डक्टस आर्टेरीओसस, पीलिया, लो बर्थ वेट, विकास होने में देरी जैसे सस्ती सम्बन्धित समस्याएँ देखी गयी है।
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