ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः हिन्दू धर्म का प्रमुख मंत्र है, जो भगवान विष्णु तथा उनके अवतार कृष्ण को समर्पित है। इसे द्वादसाक्षरी मंत्र या बस द्वादसाक्षरी भी कहा जाता है क्योकि यह बारह अक्षरों का मंत्र है। इस मंत्र की 2 परंपराएं मोजूद है जिसमे पहली तांत्रिक तथा दूसरी पुराण है। कहा जाता है कि तांत्रिक परम्परा ऋषि प्राप्ति तथा पोराणिक परम्परा ऋषि नारद की है। आगे आप जानेंगे कि ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का अर्थ क्या है।
ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का अर्थ
ओम – ब्रंह्माडीय व लौकीक ध्वनि
नमो – नमस्कार या नमन
भगवते – जो दिव्य है
वासुदेवयः – वासु का मतलब सभी प्राणियों में जीवन तथा देवयः का मतलब है देव या ईश्वर।
वासुदेव भगवान ! का अर्थ है जो नर से नारायण बने है, जब वे नर से नारायण हो जाते हैं तब वासुदेव कहलाते हैं।
ईश्वर (नारायण/वासुदेव) जो सभी प्राणियों का जीवन है उन्हें में नमन करता हैं।
भगवान कृष्ण स्वयं यह कहते हैं कि “ओम नमो भगवते वासुदेवय” मंत्र का पाठ करना चाहिए ताकि मैं उनके साथ खड़ा रहूं। मैं किसी के भी दिल की पुकार का तुरंत ही उत्तर देता हूं। तथा मनुष्य इच्छाओं की सभी किस्मों को त्यागें बस मेरे पास आत्मसमर्पण करें। मैं आपकी सभी पापी प्रतिक्रिया से रक्षा करूंगा।

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