भारत में कई त्यौहार मनाए जाते हैं क्योकि यहां पर कई सभ्यताओं के लोग निवास करते हैं। यही भारत की पहचान है। यहाँ हर किसी को अपने त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाने की स्वतंत्रता है। हिन्दुओं के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है बसंत पंचमी। जो कि बसंत ऋतू के आगमन का भी सन्देश देती है। आज आप जानेंगे कि बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है? बसंत पंचमी पर कई जगहों पर सरस्वती पूजा होती है तो कुछ समाजों द्वारा इस दिन सामूहिक विवाह सम्मलेन आदि भी आयोजित किये जाते हैं।
बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है?
इस वर्ष 2024 में बसंत पंचमी 14 फरवरी को आ रही है। बसंत पंचमी को भारतीय महीने मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है, इस दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था। इसे सरस्वती की जयंती भी कहा जा सकता हैं। बसंती पंचमी के बाद वसंत ऋतू का आगमन होता है इसीलिए इसे बसंत पंचमी कहा जाता है।
इस दिन सभी धर्म स्थलों और घरो तक में माता सरस्वती की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन सरस्वती जी पूजा करने से विद्या, तथा कला में वृद्धि होती है। वसंत के आगमन के साथ सर्दियों का मौसम खत्म हो जाता है तथा नये फूल खिलने लगते हैं तथा गेहूँ सोने के रंग के समान खेतो में लहलहाते हैं, पशु पक्षी भी इस मौसम के आने से काफी खुश लगते हैं। प्रकृति एक सुंदर रूप में परिवर्तित होने लगती है तथा हर तरह काफी सुन्दरता दिखाई देती है क्योकि पेड़ो पर नये पत्ते भी आने लगते हैं।
पोराणिक कथा के अनुसार एक बार संसार के रचियता ब्रह्मा जी पृथ्वी पर भ्रमण कर रहे थे तभी उन्होंने पाया कि यहा काफी शांति है तथा यहा किसी के पास वार्तालाप के लिए यानिकी संवाद करने के लिए वाणी नही है फिर उन्होंने अपने कमण्डल से पानी लिया और उसे छिड़का जिसके फलस्वरूप माता सरस्वती का जन्म हुआ। सरस्वती के हाथो में वीणा, पुस्तक, आदि थे जिसके बाद ब्रह्मा जी ने उन्हें आज्ञा दी की वे इस संसार को ध्वनी प्रदान करें जिसके बाद सभी को ध्वनी मिल गयी। हिन्दू धर्म में माता सरस्वती को विद्या, संगीत, कला की देवी माना जाता है।

मां सरस्वती की पूजा कैसा करें ?
इस दिन कई जगहों पर हवन भी किया जाता है तथा सरस्वती माता की पूजा की जाती है। इस दिन सबसे पहले स्नान करे फिर पीले वस्त्र धारण करें क्योकि इस दिन पील वस्त्र पहनने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती है। फिर माता सरस्वती और गणेश जी की मूर्ति या फोटो स्थापित करें और सबसे पहले प्रथमेश्वर यानिकी गणेश की पूजा करें जिसके बाद सरस्वती जी की पूजा करे पूजा में आप सरस्वती जी को सरसों, गेहूं आदि चडाना न भूले।
FAQs
बसंत पंचमी वसंत ऋतू के आगमन की ख़ुशी तथा माँ सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता हैं।
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