आज आप जानेंगे कि कोर्ट में चार्जशीट दाखिल होने के बाद क्या होता है? अगर नही तो इस लेख में आपको इसका जवाब मिल जाएगा।
चार्जशीट क्या होता है?
कोर्ट में केस के ट्रायल के लिए जिन जानकारियों की जरूरत होती है वो सब इस चार्जशीट में होती है जैसे अभियुक्तों के नाम पते तथा उनके खिलाफ की गई गिरफ्तारी, जमानत, फरार का विवरण, कोर्ट में साबित करने के लिए पेश किये जाने वाले गवाह, अभिलेख और अन्य साक्ष्यों के बारें में जानकारी। चार्जशीट को चालान भी कहा जाता है। पुलिस द्वारा न्यायालय के समक्ष चालान दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 के अंतर्गत पेश होता है। इसमें पुलिस यह पता करती है कि केस चलने योग्य है या नही। कई बार के को झूठा मान कर रद्द किया जा सकता है।
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चार्जशीट के आधार पर अदालत तय करती है कि मुकदमा चलेगा या नहीं, गंभीर मामलो में पुलिस द्वारा में 90 दिनों के भीतर चार्जशीट पेश करनी होती है व अन्य मामलो में पुलिस द्वारा 60 दिनों में चालान या चार्जशीट दाखिल की जानी होती है। चार्जशीट दाखिल होने के बाद अगर न्यायालय को लगता है कि आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत नही है तो वह केस को बंद कर आरोपी को बरी कर देती है। इसी के अलावा क्लोजर रिपोर्ट के साथ पेश साक्ष्यों का आकलन करने के बाद न्यायालय को लगता है कि अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं तो वह उसी क्लोजर रिपोर्ट को चार्जशीट की तरह मान सकती है और आरोपी को समन जारी कर सकती है लेकिन अगर एक बार ट्रायल खत्म हो जाए तो अभियुक्त पर दोबारा केस नहीं चलाया जा सकता है।
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