क्या आप जानते हैं कि दानवीर कर्ण का अंतिम दान क्या था? अगर नही तो इस आर्टिकल को अंत तक पढ़िये इसमें आपको इस प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा।
दानवीर कर्ण का अंतिम दान क्या था?
कर्ण महाभारत के मुख्य पात्र थे, यह कुंती के ही पुत्र थे जो उन्हें सूर्य द्वारा प्राप्त हुए थे पर अविवाहित होने के कारण उन्होंने उसे छोड़ दिया था। फिर भविष्य में ऐसी परिस्तिथि बनी थी कि कर्ण की दुर्योधन से मित्रता हो गयी और वह महाभारत में युद्ध में कौरवो की तरफ से लड़ रहे थे।
कर्ण के पास कवच कुंडल थे जिस कारण उनका हारना असम्भव था यह बात इंद्र भी जानते थे और इंद्र अर्जुन के धर्मपिता थे जिस कारण उन्होंने छल से कर्ण से उसके कवच और कुंडल ले लिए थे। फिर युद्ध के समय जब अपने श्राप के कारण कर्ण के रथ का पहिया भूमि में फस गया और वो उसे निकालने लगा उसी समय अर्जुन ने उसका वध कर दिया था।
जब कर्ण का अंतिम समय चल रहा था तब कृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि कर्ण को उसकी वीरता और दानवीरता के लिए हमेशा सराहा जाएगा। तभी अर्जुन ने कहा कि कर्ण सबसे बड़ा दानवीर कैसे हो सकता है?
तभी कृष्ण ने ब्राह्मण का अवतार धारण किया और कर्ण के पास पहुचे और उससे कहा कि में आपसे दान मांगने आया हु पर इस परिस्थिति में आप मुझे क्या दे सकते हैं? तभी कर्ण ने पत्थर से अपने सोने के दांत तोड़कर ब्राह्मण को दान दे दिए थे। यह देख अर्जुन भी मान गये की कर्ण वास्तव में संसार का सबसे बड़ा दानवीर है और कृष्ण भी इस घटना से काफी प्रसन्न हुए और कर्ण से वर मांगने के लिए कहा, फिर कर्ण ने कहा की वो चाहता है कि श्री कृष्ण ही उसका अंतिम संस्कार करे इसीलिए कृष्ण ने कर्ण का अंतिम संस्कार किया था।
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