सनातन धर्म सबसे प्राचीनतम धर्म है जिसमें कई पवित्र ग्रन्थ है मौजूद है, जिनके द्वारा व्यक्ति को ऐसा ज्ञान मिलता है जो धर्म, कर्म, शरीर, आत्मा, मोक्ष, उपचार, अन्तरिक्ष सभी से सम्बन्धित है। एक मात्र हिन्दू धर्म ही ऐसा धर्म है जिसके इतने पुराने ग्रंथो में भी आपको वह बात मिल जाएगी जो आज के समय भी विज्ञान के लिए खोजना और समझना मुश्किल है। हिन्दू धर्म में कुल 18 पुराण, मुख्य 13 उपनिषद, 4 वेद और कई पवित्र पुस्तके मौजूद है। हिन्दू धर्म के इन 18 पुराणों में एक पुराण है गरुण पुराण, आअज के इस लेख में हम इसी पुराण के बारें में बात करने वाले हैं। इस पुराण को ले कर कई तरह की धारणाएं है जिसमे सबसे ज्यादा तो यह है कि गरुण पुराण को हर समय नहीं पढ़ा जा सकता है, इसे केवल किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद अगले 13 दिनों के बिच ही पढ़ा जाता है। आखिर गरुड़ पुराण क्यों नहीं पढ़ना चाहिए?
एक बार गरुण ने भगवान विष्णु से मृत्यु, कर्म, आत्मा से सम्बन्धित कई प्रश्न किये थे तो भगवान विष्णु ने उन्हें इन प्रश्नों का उत्तर दिया था जो इस पुराण में मिलते हैं, इसी कारण इस पुराण का नाम गरुण पुराण रखा गया है। इस पुराण का ज्ञान सर्वप्रथम भगवान ब्रह्मा ने महर्षि वेद व्यास को दिया था। जिसके बाद व्यासजी ने अपने शिष्य सूतजी को तथा सूतजी ने नैमिषारण्य में शौनकादि ऋषि-मुनियों को यह ज्ञान प्रदान किया था।
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माना जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा घर में 13 दिनों तक रहती है, और उन सभी कार्यो को देखती रहती है जो उसके पुत्रो के द्वारा किये जा रहे है जैसे – पिंड दान, तेरहवीं और ब्राह्मण भोज आदि। इसी दौरान यदि घर में गरुण पुराण का पाठ किया जाएं तो आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसीलिए घरों में किसी की मृत्यु हो जाएँ तो अगले 13 दिनों तक गरुण पुराण का पाठ किया जाता है।
माना जाता है कि गरुण पुराण में 29,000 हजार श्लौक है परन्तु वर्तमान की पांडुलिपियों में आठ हजार श्लोक ही मिलते हैं। इस पुराण की रचना अग्नि पुराण के बाद की मनाई जाती है। इस पुराण में मृत्यु के बाद आत्मा को किस तरह कर्मो के आधार पर नरक और स्वर्ग मिलता इसका वर्णन है, मरने के बाद मनुष्य की क्या गति होती है, उसका किस प्रकार की योनियों में जन्म होता है, प्रेत योनि से मुक्त कैसे पाई जा सकती है, श्राद्ध और पितृ कर्म किस तरह करने चाहिए तथा नरकों के दारूण दुख से कैसे मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है आदि वर्णन है।
गरुण पुराण को हमेशा किसी परिचित की मृत्यु के बाद पढ़ा जाता है इसीलिए यह धारणा बन गयी है कि गरुण पुराण को हमेशा किसी की मृत्यु के बाद ही पढ़ा जाता है। परन्तु इसे आप कभी भी पढ़ सकते हैं ताकि आपको मृत्यु, आत्मा, कर्म, मोक्ष, स्वर्ग आदि के बारें में पता चल सकें। यदि व्यक्ति को इन सब के बारें में पता होतो वह बुरे कर्मो के साथ साथ मृत्यु के बाद मिलने वाली सजाओं के बारें में जान लेता हैं और भगवान विष्णु के द्वारा बताएं गये अच्छे कर्मो पर चलने की कोशिश करता है।
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