अगर आप नहीं जानते हैं कि गोरा रंग काला क्यों हो जाता है? तो यह लेख आपके लिए ही है। इस लेख में आपको आसानी से यह पता लग जाएगा।
गोरा रंग काला क्यों हो जाता है?
व्यक्ति के शरीर का रंग उसके माता-पिता के रंग पर आधारित होता है क्योकि उनका DNA यह निश्चित करता है कि बच्चे का रंग कैसा होगा? अगर माता-पिता दोनों का रंग सावला है तो इस बात की अत्यधिक सम्भावना है कि बच्चे का रंग भी सावला यानिकी काला होगा, और अगर माता-पिता का रंग गौर है तो बच्चे के गौरे होने की संभावना रहती है।
मेलेनिन के कारण
त्वचा का रंग त्वचा में मौजूद मेलेनिन के कारण गौरा और काला होता है, यदि शरीर में मेलेनिन की मात्रा अधिक है तो व्यक्ति का रंग काला होता है तथा मेलेनिन की मात्रा कम हो तो रंग गौर होता है। इसीलिए मेलेनिन की उपस्थिति और घनत्व हमारी त्वचा को गोरा या काला बनाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। मेलेनिन पेगमेंट त्वचा के साथ-साथ बालो और आँखों के रंग को भी निर्धारित करता है। इसकी अधिक मात्रा रंग को गहरा करती है।
पराबैंगनी किरणों के कारण
धुप यानिकी सूर्य की किरणों में मौजूद पराबैंगनी किरणे हमारे शरीर को नुकसान पहुचाती है, और मेलेनिन को नष्ट करने लगती है जिस कारण हमारा शरीर और अधिक मेलेनिन का निर्माण करने लगता है और मेलेनिन की मात्रा बढ़ने से शरीर काला दिखने लगता है।
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