क्या आप जानते हैं हनुमान जी की पत्नी और पुत्र का नाम क्या था? यदि नहीं तो इस लेख में आपको इसका उत्तर मिल जाएगा।
हनुमान जी की पत्नी और पुत्र का नाम
पंडित श्याम आप्टे के अनुसार हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। भगवान राम के प्रति अपनी दृढ़ भक्ति के लिए प्रसिद्ध, उन्होंने भारतीय महाकाव्य रामायण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हनुमान को अपार शक्ति,और बुद्धि वाले एक दिव्य वानर के रूप में चित्रित किया गया है। बहादुरी और भक्ति के रूप में हिंदू उन्हें बहुत सम्मान देते हैं। भारत और अन्य क्षेत्रों में जहां हिंदू धर्म का पालन किया जाता है, हनुमान की बड़े पैमाने पर पूजा की जाती है।
बजरंगबली के ब्रह्मचर्य को तो हर कोई जानता है, क्या आप जानते हैं कि ब्रह्मचर्य का पालन करने के साथ-साथ इनकी एक पत्नी और पुत्र भी है।
पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी ने भगवान सूर्य से शिक्षा प्राप्त की थी। सूर्यदेव की शिक्षाओं के दौरान, उन्हें एक समस्या का सामना करना पड़ा क्योंकि कुछ ज्ञान केवल एक विवाहित व्यक्ति को ही दिया जा सकता था। हालाँकि, उस समय हनुमान जी अविवाहित थे। इस परिस्थिति को देखते हुए सूर्यदेव ने उन्हें विवाह करने को कहा। हनुमान जी ने सूर्यदेव के सुझाव को स्वीकार कर लिया और विवाह के लिए उपयुक्त लड़की ढूंढने को कहा। तब सूर्यदेव ने बजरंगबली से उनकी सुंदर और समर्पित पुत्री सुवर्चला से विवाह करने के लिए कहा। हनुमान जी ने सुवर्चला से विवाह किया और सूर्यदेव से पूरी शिक्षा प्राप्त की। विवाहित होते हुए भी हनुमान जी ब्रह्मचारी रहे। पराशर संहिता में हनुमान जी के विवाह का उल्लेख मिलता है।
हनुमान जी के पुत्र का उल्लेख वाल्मिकी जी की रामायण में मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार जब अहिरावण राम-लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल ले आया, तब हनुमान जी राम-लक्ष्मण की सहायता के लिए पाताल पहुंचे। पाताल के प्रवेश द्वार पर हनुमान जी का सामना अपने पुत्र मकरध्वज से होता है, जो दिखने में वानर जैसा दिखता है। वह अपना परिचय हनुमान के पुत्र मकरध्वज के रूप में देते हुए हनुमान जी को बताता है कि वह पाताल के द्वारपाल के रूप में कार्य करता है।
मकरध्वज ने हनुमान जी को बताया कि जब वह लंका दहन करने के बाद आग को बुझाने के लिए समुद्र में कूदे थे तब उसके पहले उनके शरीर से पसीना निकल रहा था जिसकी बूंद को एक मकर ने पी लिया था, और उसी पसीने की बूंद से वह गर्भावस्था को प्राप्त हो गई और मकरध्वज का जन्म हुआ।
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