ईर्ष्या वो भावना है जिसमे आपके विचार तथा असुरक्षा के भाव होते हैं, ईर्ष्या भावना तब उत्पन्न होती है जब आप अपनी तुलना किसी से करते हैं और उसे स्वयं से अधिक परिपूर्ण समझते हैं या फिर अपने साथी को किसी और के साथ देखता हो और अपने रिश्ते को असुरक्षित समझे तभी ईर्ष्या उत्पन्न होती है। कई बार ईर्ष्या प्रेम को दर्शाती है और कई बार यह नकारात्मकता को बढावा देती है। ईर्ष्या में क्रोश, अपर्याप्तता, लाचारी और घृणा का समावेश होता है जिसके अंतर्गत मजबूत भावनाएं होती है जो एक तटस्थ और अप्रभावी भावना हो सकती है। आगे हम जानेंगे कि ईर्ष्या करने वाले को क्या कहते हैं?
ईर्ष्या करने वाले को क्या कहते हैं?
ईर्ष्या करने वाले को ईर्ष्यालु कहते हैं। ईर्ष्या कई बार स्वास्थ्य पर असर डालती है जो आपकी खुशियों को भी छीन सकती है इसीलिए ईर्ष्या की भावना नही रखना चाहिए और यदि कोई आपसे ईर्ष्या रखता है तो उसे नज़रंदाज़ कर अपने कर्मो पर ध्यान देना चाहिए।
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