एक सच्चा धर्म वही है जिसके अनुयायी सत्य के मार्ग पर चलें, प्राणियों का कल्याण करना ही उनका परम उद्देश्य हो, सभी जीव जंतुओं को अपना समझें और ईश्वर की उपासना करें। ऐसे ही धर्मों में से एक है जैन धर्म। जैन धर्म के अनुयायी अहिंसा को अपना परम धर्म मानते हैं व साथ ही लोक कल्याण हेतु कार्यरत भी होते हैं। आज हम बताएंगे कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर कौन थे ?
जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर कौन थे
जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवन ऋषभदेव हैं। इन्हें आदिनाथ के नाम से भी जाना जाता है। भगवान ऋषभदेव ने ही जैन धर्म की स्थापना की।
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!तीर्थंकर का मतलब क्या होता है?
तीर्थंकर से तात्पर्य है उनसे है जिन्होंने तीर्थ की रचना की हो या जो तीर्थ की रचना करें। जो संसार सागर से मोक्ष तक के तीर्थ की रचना करते हैं वे तीर्थंकर कहलाते हैं।
जैन धर्म के प्रमुख तीर्थ सम्मेदशिखर, राजगिर, पावापुरी, गिरनार, शत्रुंजय, श्रवणबेलगोला है। भगवान ऋषभदेव जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर थे, अथर्ववेद, पुराणों, ग्रंन्थो मे ऋषभदेव का वर्णन मिलता है।
कुछ और महत्वपूर्ण लेख –