जीवन में परिश्रम और अनुशासन का महत्व जानने के लिए आप इस लेख की सहायता ले सकते हैं। इसमें आपको यह पढ़ने को मिलेगा कि जीवन में परिश्रम और अनुशासन का क्या महत्व होता है और अगर आप इन्हें महत्व नही देंगे तो आपको किस प्रकार की समस्याओ का सामना कर पड़ सकता हैं।
जीवन में परिश्रम और अनुशासन का महत्व
जैसा कि हम सभी जानते है कि बिना परिश्रम के कुछ नही मिलता है और अगर मिल भी जाता है तो हम उसकी कद्र नही करते हैं और उसे खो देते हैं। परिश्रम और अनुशासन एक ऐसी कुंजी है जो आपको सफल बनाती है। तथा एक सुखद जीवन प्रदान करती है, बिना अनुशासन के परिश्रम करना भी इतना फायदेमंद नही होता है क्योकि अगर आप बिना अनुशासन के काम करेंगे तो उसके सफल होने की सम्भवना कम होगी या फिर आप देरी से सफल होंगे इसीलिए अनुशासन का होना जरुरी है। आप कुछ भी कार्य करते हो या आप छात्र ही क्यों न हो हर किसी के जीवन में अनुशासन महत्व रखता है। और छात्रो के जीवन में तो अनुशासन अत्यधिक महत्व रखता है। बिना अनुशासन के छात्र कभी भी सफल नही हो सकता है।
अनुशासन का अर्थ
अनुशासन का अर्थ होता है समय पर कार्य करना तथा पूरी निष्ठा और नियमो के साथ करना। अनुशासन का पालन करना जितना कठिन लगता है उतना होता नही है यह बहुत ही आसान होता है। हर क्षेत्र के लिए अलग अलग तरह के अनुशासन से जुड़े नियम होते हैं पर सभी का उद्देश्य एक ही होता है। नियमो से कार्य करना तथा अवांछनीय समस्याओ से बचना।
अनुशासन का महत्व
बिना अनुशासन के आपको बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जैसे – तनाव, समय का अभाव महसूस होना, एकाएक अत्यधिक परिश्रम, दुःख, इच्छाओ का पूरा न होना, असफल जीवन, अविकसित व्यक्तित्व। क्योकि अगर आप अनुशासन के महत्व को नही समझेंगे तो आप आलसी हो जाएँगे साथ ही असामाजिक घटनाओ से भी जुड़ सकते हैं जिस कारण आपको इस प्रकार की समस्याओ का सामना करना पड़ सकता है।
जीवन में परिश्रम का अर्थ
परिश्रम का अर्थ होता है किसी प्रकार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किया गया मानसिक या शारीरिक श्रम (कार्य)। सफलता के लिए परिश्रम को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है बिना परिश्रम के सफलता मिलना असम्भव है। शारीरिक परिश्रम के साथ साथ मानसिक परिश्रम भी जरुरी है क्योकि केवल शारीरक परिश्रम से सफलता पाना मुश्किल है। आलस को त्याग कर अपने लक्ष्य पर ध्यान देना तथा उसके लिए कड़ी मेहनत करना और उस लक्ष्य को प्राप्त करना ही परिश्रम कहलाता है। सफल बनने के लिए आपको परिश्रम करना ही होता है हर किसी के लिए परिश्रम का क्षेत्र अलग-अलग हो सकता है।
परिश्रम का महत्व
आलस को अगर सही समय पर नही त्यागा तो आप को बहुत सी परेशानिया उठानी पड़ सकती है क्योकि आलसी व्यक्ति कभी भी नींद के अलावा कुछ और नही पा सकता है। और जीवन में खुश रहने के लिए परिवार वालो के लिए परिश्रम करना ही पड़ता है वरना आप न आर्थिक रूप से सक्षम हो सकेंगे न ही मानसिक और न शारीरिक रूप से।
एक श्लोक भी है ”कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन: ।” जिसका अर्थ होता है कि परिश्रम ही मनुष्य की असली पूजा है। इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी होना कठिन है । वह व्यक्ति जो परिश्रम नही करता है वो सदैव दु:खी व दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।
आलसी इंसान की प्रवति ही ऐसी होती है कि वो हमेशा भाग्य को ही दोष देता है तथा कभी भी मेहनत करने की नही सोचता है। इसी कारण वह सफल लोगो से नीचे रह जाता है और हमेशा दुखी रहता है।
FAQs
सफक और सुखी बनने के लिए परिश्रम और अनुशासन के नियमो का पालन जरुरी है।
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