काई एवं लाइकेन वनस्पति किस क्षेत्र में पाई जाती है

काई एवं लाइकेन वनस्पति किस क्षेत्र में पाई जाती है

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By Shubham Jadhav

आज का प्रश्न हैं कि काई एवं लाइकेन वनस्पति किस क्षेत्र में पाई जाती है?

काई एवं लाइकेन वनस्पति किस क्षेत्र में पाई जाती है

काई एवं लाइकेन वनस्पति निम्न श्रेणी का वनस्पतियों का एक समूह है, जो वृक्षों की पत्तियाँ एवं छाल, प्राचीन दीवारें, भूतल, चट्टान और शिलाओ पर उगे हुए पाए जाते हैं। लाइकेन मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं जिसमे पहला पर्पटीमय लाइकेन, दूसरा पर्णिल तथा तीसरा क्षुपिल लाइकेन है। पर्पटीमय लाइकेन अम्लों की मदद से चट्टानों के लावों को अवशिष्ट के साथ मिलाकर एक प्रकार की मिट्टी बनाते हैं, जो काफी उपयोगी हो सकती है। काई एवं लाइकेन वनस्पति टुंड्रा क्षेत्र में पाई जाती है, टुंड्रा प्रदेशों की वनस्पतियों में बौनी झाड़ियां, दलदली पौधे, घास, काई और लाइकेन आदि पाए जाते हैं। यहाँ काई तथा लाइकेन के अलावा विलो, भुर्ज, झरवेरी वनस्पतियाँ भी पाई जाती है। इनके साथ साथ बैल तथा खरगोश ये स्थलीय जीव तथा सील, ह्वेल, वालरस आदि जलचर इस इस प्रकार के क्षेत्रो में आसानी से मिल जाते हैं।

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