प्राचीन काल में मंदिरों से किस प्रकार अर्थव्यवस्था का संचालन होता था?

प्राचीन काल में मंदिरों से किस प्रकार अर्थव्यवस्था का संचालन होता था?

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By Nitesh Harode

हिंदू मंदिरों ने हमेशा समाज और भारतीय सभ्यता के केंद्र के रूप में कार्य किया है। आध्यात्मिक और धार्मिक प्रथाओं के अलावा, मंदिर विभिन्न सामाजिक गतिविधियों के लिए प्राथमिक केंद्र भी रहे हैं। पूरे इतिहास में ये मंदिर महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ ज्ञान, विज्ञान और कला के प्रबंधन और देखरेख के लिए जिम्मेदार रहे हैं। मंदिरों ने भारत के आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और आज भी उनके पास अपार संपत्ति है। चाहे वह तिरुपति मंदिर की वार्षिक आय हो या प्राचीन पद्मनाभ मंदिर की संपत्ति, अतीत से लेकर आज तक इन मंदिरों में अत्यधिक पैसा भक्तो के द्वारा दान किया जाता आ रहा है। आइये और आगे और जानते हैं कि प्राचीन काल में मंदिरों से किस प्रकार अर्थव्यवस्था का संचालन होता था?

प्राचीन काल में मंदिरों से किस प्रकार अर्थव्यवस्था का संचालन होता था?

भारत में मंदिर केवल धर्म और आस्था के ही केंद्र नहीं रहें हैं, प्राचीन काल से ही मंदिर अर्थव्यवस्था को भी कई प्रकार से संचालित करते थे। जिस तरह आज बैंक अर्थव्यवस्था का स्तम्भ है उस तरह प्राचीन कल में मंदिर बैंक की भूमिका निभाते थे। आज की बेंको की तरह मंदिरों में बहुमूल्य वस्तुओ को रखना, धन को जमा करने की व्यवस्था भी थी। मंदिर में दान के माध्यम से धन अर्जित हो जाता था, जिसका उपयोग कई कामों में किया जाता था जैसे धार्मिक कार्य, मंदिरों का निर्माण, प्रतिदिन गरीबो के लिए भोजन, और लोगों और राजाओ के लिए उधार लेने की व्यवस्था भी थी।

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मंदिर में मुख्य रूप से धन, स्वर्ण, जमीन, अनाज का दान आता था जिसका उपयोग मंदिरों के द्वारा कई अच्छे कामो में किया जाता था। मंदिर देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थे जो इसका संचालन किया करते थे। मंदिरों के द्वारा ही सेक्दोई लोगों को किसी न किसी तरह रोजगार प्राप्त था चाहे वह मंदिर के बाहर फूल आदि की दुकान लगाते हो, मंदिर की सफाई करते हो, या किसी भी प्रकार की सुविधा प्रदान करते हो। मंदिरों में सबसे ज्यादा दान राजाओं, व्यापारियों तथा किसानो के द्वारा दिया जाता आ रहा है।

मध्यकालीन में मंदिरों की अर्थव्यवस्था

मध्यकालीन समय में मंदिरों की अर्थव्यवस्था सुचारू व व्यवस्थित थी। मंदिर धर्म का प्रचार प्रसार कर रहे थे तथा आर्थिक रूप से देश को सहायता भी करते थे। जिसके कारण कृषि और व्यापार पर सकारात्मक असर पड़ता तथा और देश अन्य देशो की तुलना में ज्यादा विकास कर रहा था। मध्यकाल का अंत तक मंदिरों पर आक्रांताओ की नजर पड़ चुकी थी, मुग़ल और आदि कई आक्रान्ताओं ने मन्दिरों को लुट कर उन्हें ध्वस्त करना शुरू कर दिया था जिस कारण देश की अर्थव्यवस्था पर घर प्रभाव पड़ना शुरू हो चुका था।

आधुनिक काल तथा मंदिर

मंदिरों की स्थिति आधुनिक काल के आते आते काफी बिगडती जा रही थी। प्राचीन काल की तरह मंदिरों के पास इतनी सुविधा और धन नहीं था फिर भी कई ऐसे मंदिर है जो आर्थिक रूप से आज भी मजबूत है तथा जहाँ करोड़ो रूपये का दान आता है। अंग्रेजो ने इस आधुनिक युग में मंदिरों को काफी लुटा उन पर कई तरह के नियम लागु कर दिए गये तथा मंदिरों की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित आकर दिया। फिर भी आजादी के बाद मंदिरों को काफी हद तक सक्षम, धर्मिक केंद्र और आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के प्रयास जारी है।

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