आज आप जानेंगे कि मूल नक्षत्र कौन कौन से होते हैं?
मूल नक्षत्र कौन कौन से होते हैं?
ज्योतिष में कुल मिलाकर 6 मूल नक्षत्र है, जिसमे ज्येष्ठा, आश्लेषा को मुख्य मूल नक्षत्र वहीं अश्विनी, रेवती और मघा को सहायक मूल नक्षत्र कहा गया है। अगर किसी का जन्म इन नक्षत्र में होता है तो इसका असर जातक के जीवन और स्वभाव पर होता है। इन नक्षत्रो का असर 8 वर्ष तक रहता है और जन्म के समय इनका स्वास्थ्य संवेदनशील हो सकता है और मूल को शांत कराने के बाद ही पिता को इस मक्ष्त्र में जन्मे बच्चे का मुख देखना चाहिए। इस नक्षत्र में जन्मे अधिकांश लोग व्यापारी बनते हैं तथा भविष्य को ले कर हमेशा गम्भीर रहते हैं, चुनोतियो को पसंद करते हैं और उनसे निपटने की हिम्मत रखते हैं। परिवार के हर सदस्य को महत्व देते हैं तथा माता पिता की आज्ञा मानने वाले होते हैं।
हमारा टेलीग्राम चैनल जॉइन करने के लिए क्लिक करेंअगर जातक की राशि मेष तथा नक्षत्र अश्विनी है तो बच्चे को हनुमानजी की पूजा करना चाहिए। तथा अगर जातक की राशि अगर सिंह और नक्षत्र मघा है तो उसे सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। और अगर राशि धनु और नक्षत्र मूल है तो जातक को गायत्री मंत्र की उपासना करना चाहिए। और अगर राशि कर्क और नक्षत्र आश्लेष है तो शिव जी की पूजा करें । वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र होने पर हनुमानजी पूजा करे और मीन राशि और रेवती नक्षत्र होतो गणेशजी की पूजा अर्चना करें।
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