2022 में नाग पंचमी कब है व नाग पंचमी का महत्व


हिन्दू धर्म में देवताओं के अतिरिक्त पेड़, पशु, पक्षियों और ग्रहों की भी पूजा की जाती है। शाश्त्रों में प्रत्येक पूजा के नियम, विधि एवं व्रत बताये गए है। गाय को माता समान मान कर उसकी पूजा की जाती जाती है। कोकिला-व्रत में कोयल के दर्शन या उसके स्वर सुनने पर ही भोजन ग्रहण करने का भी व्रत है। बैल का पूजन वृषभोत्सव के दिन किया जाता है। इसके अलावा बरगद की पूजा वट-सवित्री व्रत में की जाती है। नागों के पूजन के लिए भी दिन निर्धारित किया गया है। जिसे नागपंचमी कहा जाता है। 2022 में नाग पंचमी कब है व नाग पंचमी का महत्व क्या है यह हम आगे देखते है।

नाग पंचमी कब है?

नागों का हिदू धर्म में एक विशिष्ट स्थान है, क्योकि वे भगवान शिव के गले में विराजमान है और श्री हरी विष्णु भी नाग पर ही विराजमान है। सावन माह बहुत ही शुभ माह माना जाता है इसी माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2022 में 13 अगस्त, शुक्रवार के दिन नाग पंचमी है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। शास्त्रों के अनुसार नागों को दूध से स्नान कराना चाहिए ना की उन्हें दूध पिलाना चाहिए।नागपंचमी के पावन पर्व पर वाराणसी (काशी) में बहुत बड़ा मेला लगता है। इस दिन बहुत से गांवों में कुश्ती का आयोजन किया जाता है।

नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है?

हिन्दू धर्म में नाग पंचमी मनाने के पीछे बहुत सी कहानियाँ है आज हम आपको मुख्य तीन कहानियों के बारे में बताने वाले जो नाग पांचवी मनाने की मुख्य कहानिया है।

एक बार की बात है जब एक किसान अपने खेत में हल जोत रहा था तभी गलती से उसके द्वारा सांप के कुछ बच्चे मर जाते है जिस कारण उन बच्चो के माता पिता नाराज़ हो जाते है और बदला लेने की भावना से उस किसान के घर में जा कर उसके पुरे परिवार को मारने की कोशिश करते है और किसी तरह उस किसान और उसकी पत्नी को मरने के बाद जब वे उस किसान की लडकी की और बड़ते है तो यह देख वह उन नाग के जोड़ो का गुस्सा कम कने के लिए उनसे क्षमा मांगती है और उनकी पूजा कर उन्हें दूध चढ़ाती है यह देख नागो का जोड़ा उससे प्रसन्न हो कर उसके परिवार को पुनः जीवित कर देते है और उसकी लड़की से वर मांगने के लिए कहते है तभी से इस दिन नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है।

दूसरी कथा यह है की जब समुद्र मंथन में विष निकला था जिसे भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया था उसी समय अनेक सर्पो ने इस कार्य में उनकी सहायता की थी तभी से पंचमी पर नागो की पूजा करने की परम्परा है।

तीसरी कथा यह है की सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी पर भगवान विष्णु ने शेषनाग को अपना वाहन मन लिया था तभी से इस दिन नाग पंची मनाई जाती है।

कुछ और महत्वपूर्ण लेख –

1Shares

Leave a Comment