निंदक नियरे राखिए

निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय हिंदी मीनिंग

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By Shubham Jadhav

आज हम आपको कबीर दास जी का दोहा निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय का हिंदी अर्थ बताने वाले हैं। तो आइये जानते निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय हिंदी मीनिंग – Nindak Niyare Rakhiye.

निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय हिंदी मीनिंग – Nindak Niyare Rakhiye

कबीर के दोहे व्याख्या हिंदी में

निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय,
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।

या

निंदक नेड़ा राखिये, आँगणि कुटी बँधाइ।
बिन साबण पाँणीं बिना, निरमल करै सुभाइ॥

Nindak Niyare Raakhie Ongan Kutee Chhavaay,
Bin Paanee, Saabun Bina, Nirmal Kare Subhaay.

Or

Nindak Neda Raakhiye, Aangani Kutee Bandhai.
Bin Saaban Paanneen Bina, Niramal Karai Subhai.

अर्थ

इस दोहे में अनेक शब्द है जिनका अर्थ हम पहले पृथक पृथक कर जान लेते हैं।

निंदक – ऐसा व्यक्ति जो आपके अवगुणों को आपको बताता हो यानिकी आपकी निंदा करता हो आपका निंदक कहलाता है।
नियरे राखिए – निकट या समीप रखना चाहिए।
ऑंगन -आँगन में।
कुटी छवाय- पेड़ पौधों की छांया होना चाहिए।
बिन पानी- बीना पानी के ।
साबुन बिना- बीना साबुन के।
निर्मल करे सुभाय- जो स्वभव को निर्मल तथा शुद्ध कर दे।

व्याख्या

निंदक नियरे राखिये दोहे का अर्थ है की हमें निंदा करने वाले इन्सान को हमेशा अपने साथ रखना चाहिए, ऐसा इन्सान हमारे अंदर की दुर्बलता और कमियों को हमारे सामने लाता है जिस कारण हम बिना पानी, साबुन के ही निर्मल हो जाते हैं।

व्यक्ति का चरित्र ही उसकी पहचान है हर किसी में कुछ ना कुछ अवगुण जरुर होते हैं, पर अगर उसके साथ में ऐसा व्यक्ति है यानिकी की निंदक है जो उसके इन अवगुणों को उसे बिना हिचकिचाहट के बता देता है तो वह इंसान इन अवगुणों को गुणों में बदल सकता है इसीलिए कहा गया गया है कि निंदक आपके चरित्र और व्यवहार को निर्मल करता है।

निंदा करने वाले को पास रखने का क्या मतलब है?, हमें पानी या साबुन की आवश्यकता के बिना शुद्ध होने में मदद करते हैं। आलोचना को अपने नजदीक ही रखना चाहिए. ” “” शब्द उस आलोचक को संदर्भित करता है जो आलोचनाएँ प्रदान करता है।

FAQs

निंदक नियरे राखिए का क्या मतलब है?

निंदक को अपने पास रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि वे हमारी आंतरिक कमजोरियों और कमियों को प्रकट करते हैं।

निंदक” शब्द का क्या अर्थ है?

आलोचना करने वाला।

निंदक को कहाँ रखना चाहिए?

निंदक यानिकी आलोचना को अपने नजदीक ही रखना चाहिए

निंदक को अपने साथ रखने के क्या फायदे हैं?

आलोचक को अपने साथ रखकर हम अपनी खामियों से परिचित हो सकते हैं और अपने चरित्र को निखार सकते हैं।

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