भारत विश्व की एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है लेकिन इस विकास में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। इसी समस्या से निजात पाने के लिए भारत सरकार द्वारा नोट बंदी की गयी थी। इस लेख में आप जानेंगे कि नोट बंदी क्या होती है? भारत में सबसे पहले नोटबंदी कब हुई थी और मोदी सरकार द्वारा Note Bandi Kab Hui Thi?
नोटबंदी क्या है?
नोट बंदी को अर्थशास्त्र की भाषा में विमुद्रीकरण कहा जाता है। जब किसी देश की सरकार द्वारा बड़े नोट या सिक्कों को बाजार में प्रचलन से अमान्य कर दिया जाता है एवं इसके स्थान पर नए नोट एवं सिक्के जारी किये जाते हैं तो इस प्रक्रिया को नोटबंदी या विमुद्रीकरण कहा जाता है। जब देश में काला धन बढ़ जाता है तो नोटबंदी की जाती है।
Note Bandi Kab Hui Thi (नोटबंदी कब हुई थी?)
मोदी सरकार से पहले भी भारत में नोटबंदी हो चुकी है। सर्वप्रथम 1946 में नोटबंदी का फैसला लिया गया था जिसके अंतर्गत 1000, 50000 व 10,000 के नोट बंद किये गए थे। जी हाँ आपने अंतिम नोट की रकम को सही पढ़ा! भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सबसे बड़ी करंसी 10 हजार रूपये छापी गयी थी। 1938 में इसे पहली बार छापा गया था व 1978 में इसे बंद कर दिया गया।
इसके बाद मोरारजी देसाई सरकार ने नोटबंदी की थी उसमें भी 1000, 50000 व 10,000 के नोट बंद किये गए थे।
फिलहाल में भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 8 नवम्बर 2016 को नोटबंदी की गयी थी। जिसमे 500 एवं 1000 के नोट बंद कर दिए गए थे। नोट बंदी में सरकार द्वारा लोगों को पुराने नोट बदलने के लिए समय दिया जाता है जिसमे वे बैंक में जाकर अपने नोट बदल सकते है। जिन लोगो के पास काला धन होता है वे पकडे जाने के डर से एक सीमा से अधिक नोट बैंक में बदलवाने नहीं जाते जिससे कि उनके पास जमा मुद्रा की कोई कीमत नहीं रह जाती, साथ ही यदि बाद में उनके पास पुराने नोट मिलते हैं तो उनके विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही की जाती है।
नोटबंदी में अपने काले धन को छिपाने के लिए लोगों ने अलग-अलग हथकंडे अपनाये जैसे- नोटों को जला देना, नाली में फेक देना या किसी अन्य व्यक्ति को पैसों का लालच देकर उसके खाते में पैसे ट्रान्सफर कर देना।
2016 की नोटबंदी सफल हुई या नहीं?
मोदी सरकार द्वारा 3-4 लाख करोड़ रूपये का काला धन ख़त्म होने की बात कही गयी है। लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के अनुसार नोटबंदी में अमान्य हुई राशी का लगभग 99 प्रतिशत बेंकिंग प्रणाली में वापस आ गया है।
FAQs
भारत में सबसे पहले 1946 में नोटबंदी का फैसला लिया गया था जिसके अंतर्गत 1000, 50000 व 10,000 के नोट बंद किये गए थे।
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