नमस्ते दोस्तों ! पितृ पक्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक होते है। पितृ पक्ष के दोरान पितृ यानिकी पूर्वज धरती पर रहते है और अपनी संतानों से उम्मीद रखते है कि वे उनके लिए श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान आदि करेंगे ऐसा ना करने पर पितृ नाराज़ हो जाते है और आप पाप के भागी बनते है जिससे की आपके जीवन में समस्याएँ बनी रहती है। पूर्वजो की मृत्यु के बाद भी हिन्दू धर्म में बहुत सी मान्यताओ का पालन किया जाता है साल के किसी भी माह , तिथि में स्वर्गवासी हुए अपने पूर्वजो के लिए पितृपक्ष की उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है। आगे हम जानेंगे की पितृ पक्ष में क्या नहीं करना चाहिए?
पितृ पक्ष में क्या नहीं करना चाहिए?
आप जानते ही होंगे कि पितृ पक्ष में बहुत से ऐसे कार्य है जिन्हें करने से हम पाप के भागी बन सकते है आइयें जानते है कि किन कार्यो को करने से आपके पूर्वज नाराज़ हो सकते है।
सब्जियां
हमे इस बात का ध्यान रखना है कि पितृ पक्ष के दोरान पंडितो और पितरो को जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियों का भोग नही लगाना चाहिए। जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियाँ जैसे मूली, अरबी, आलू आदि।
लहसुन-प्याज का सेवन ना करे
हर किसी को पितृ पक्ष में तामसिक भोजन को खाने से बचना चाहिए, हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष के समय लहसुन और प्याज जैसे तामसिक भोजन का सेवन नही करना चाहिए।
चना
पितरो को चने से बने पदार्थ अर्पित नही करना चाहिए। नाही हमे चने का सेवन करना चाहिए। चने का सेवन करने से पितृ रुष्ट हो जाते हैं।
अन्य
जब पितृ पक्ष हो तब मसूर की दाल का सेवन नही करना चाहिए ना ही पितरो को इसका भोग लगाना चाहिये। पितृ पक्ष के सोलह दिन नशे से दुरी बना लेना चाहिए। बीड़ी, सिगरेट, शराब तथा मांसाहार का बिलकुल भी सेवन नही करना चाहिए।
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