भगवान गणेश भगवान शंकर तथा माँ पार्वती के पुत्र है, जिन्हें प्रथमेश्वर, लम्बोदर, विघ्नहर्ता, गणपति आदि नामों से पुकारा जाता है। क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश ने दो शादियाँ की थी, उनकी पत्नियों के नाम रिद्धि-सिद्धि है। गणेश जी के दो पुत्र भी थे जिनका नाम शुभ लाभ है, हम स्वास्तिक के आस पास इनका नाम लिखते हैं या फिर द्वार के आप पास भी शुभ लाभ लिखा जाता है।
रिद्धि सिद्धि किसकी पुत्री थी?
गणेश जी की दोनों पत्नियाँ बहन है तथा रिद्धि सिद्धि दोनों भगवान विश्वकर्मा की पुत्रियाँ है। एक कथा के अनुसार रिद्धि सिद्धि दोनों ब्रह्मा जी से शिक्षा प्राप्त करना चाहती थी परन्तु ब्रह्मा जी ने उन्हें भगवान गणेश के पास भेज दिया। फिर रिद्धि सिद्धि ने भगवान गणेश से शिक्षा प्राप्त की परन्तु वह दोनों ही गणेश जी से विवाह करना चाहती थी तथा हमेशा गणेश जी के विवाह में विघ्न डालती रहती थी जिस कारण गणेश जी का विवाह नहीं हो पा रहा था।
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!परन्तु एक समय ऐसा आया कि गणेश जी को यह पता चल गया कि उनके विवाह में जी विघ्न आ रहें हैं वह रिद्धि और सिद्धि के कारण आ रहें हैं। और इसी कारण गणेश जी क्रोधित हो गये और रिद्धि तथा सिद्धि को श्राप देने लगे परन्तु उसी समय ब्रह्मा जी वहा आये और गणेश जी को श्राप देने से रोका और गणेश जी को बताया कि रिद्धि सिद्धि उनसे विवाह करना चाहिए। फिर ब्रह्मा जी ने गणेश जी से विश्वकर्मा की पुत्री रिद्धि तथा सिद्धि से विवाह करने का आग्रह किया, जिसके फलस्वरूप गणेश जी मान गये और उनका विवाह रिद्धि तथा सिद्धि से हुआ।
तुलसी को दिया गणेश जी ने श्राप
एक समय की बात है जब गणेश जी तपस्या कर रहे थे तभी वहां से तुलसी जी गुजरती है और गणेश जी पर मोहित हो जाती है तथा गणेश जी से विवाह करने का आग्रह करती है, पर गणेश जी स्वयं को ब्रह्मचारी बता कर विवाह से मना कर दिया, परन्तु यह सुन कर तुलसी जी क्रोधित हो गयी और उन्होंने गणेश जी को यह श्राप दे दिया कि तुम ब्रह्मचार की बात करते हो मैं तुम्हे श्राप देती हूँ कि तुम्हारे दी विवाह होंगे। जिसके बाद गणेश जी भी तुलसी को श्राप देते हैं कि तुम्हारा विवाह भी असुर से होगा। इसी कारण गणेश जी को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है।
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