रूपक अलंकार के 10 उदाहरण

रूपक अलंकार के 10 उदाहरण

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By Shubham Jadhav

रूपक अलंकर किसे कहते हैं?

जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के भेद समाप्त करके उन्हें एक कर दिया जाता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है। यानिकी जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे वहाँ रूपक अलंकार होता है। रूपक अलंकार अर्थालंकारों में से एक होता है। उपमेय का अर्थ वह वस्तु जिसका वर्णन किया जाता है तथा उपमान वह संकेतिक वस्तु होती है जिससे उपमेय का सम्बंध बनाया जाता है।

रूपक अलंकार के 10 उदाहरण

बिन पानी साध निर्मल जल, मन बिन भक्ति नहीं परम गति देखल।
जिस तरह बिना पानी के निर्मल जल नहीं होता है, उसी प्रकार मन भी भक्ति के बिना परम गति को प्राप्त नहीं कर सकता है। यहं निर्मल जल उपमानित किया गया है, जिससे भक्ति की महत्त्वपूर्णता का प्रदर्शन किया जा रहा है।

मन-सागर, मनसालहरि, बूड़े-बहे अनेक
यहाँ मन उपमेय पर सागर उपमान है , मनसा यानी इच्छा (उपमेय) पर लहर (उपमान) का आरोप है, इसलिए यह एक रूपक अलंकार है।

सिंधु-बिहंग तरंग-पंख को फड़काकर प्रतिक्षण में
यहां सिंधु उपमेय पर विहंग उपमान का और तरंग उपमेय पर पंख उपमान का आरोप है, इसलिए यहां पर रूपक अलंकार है।

वधपुरी अमरावती दूजी। दशरथ दूजो इंद्र मही पर
इस वाक्य में अवधपुरी को दूसरी अमरावती बताया है और राजा दशरथ को भी इस धरती पर दूसरे इंद्र की संज्ञा दी है, इसलिए यह रूपक अलंकार है।

मुनि पद कमल बंदिदोउ भ्राता।
यहाँ कहा गया है कि मुनि पद कमल के समान है, जो उदासीन भ्रातृवत्के लिए होता है। यहाँ मुनि पद को कमल के रूप में उपमानित किया गया है, जिससे मुनि की उदारता, शांति और पवित्रता का प्रदर्शन किया गया है और जो एक उदासीन भ्राता के लिए महत्वपूर्ण होता है।

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
यहाँ राम को ही धन बता दिया गया है। ‘राम रतन’ उपमेय तथा ‘धन’ उपमान को दर्शा रहा है एवं दोनों में अभिन्नता है।

जैसे तिल में तेल है, मानस में नर नेह ज्यों।
जिया तरह तिल में तेल होता है, उसी तरह मानस में नर नेह यानिकी प्रेम व्यक्ति के हृदय में मौजूद होता है।

प्रभात यौवन है वक्ष-सर में कमल भी विकसित हुआ है कैसा।
कमल हृदय में विकसित होता है, उसी प्रकार प्रभात यौवन भी व्यक्ति के जीवन में उत्कर्षित होता है। इस पंक्ति में यौवन को कमल के रूप में उपमानित किया गया है।

महिमा मृगी कौन सुकृति का, खल-वच विसिख न बांची।
महिमा मृगी अर्थात हिरण किसी सुकृति की प्रशंसा का प्रतीक है, जो खल-वच यानिकी नीचे की भाषा औरविरोधी के लिए कोई स्थान नहीं छोड़ती। यहाँ महिमा मृगी को उपमानित किया गया है, जिससे उत्कृष्टता और सद्गुणों की महिमा का प्रदर्शन किया जा रहा है।

जैसे कुसुम मुख सुंदर आकारी, सभी तन अपना रंग धारी।
यहाँ कुसुम को उपमानित किया गया है, जिससे सौंदर्य और अनुभव की महिमा का प्रदर्शन है। इसका सादारण अर्थ है कि हर शरीर अपना अनूठा और अद्वितीय रंग धारण करता है।

निष्कर्ष

इस लेख में आपको रूपक अलंकार की परिभाषा और रूपक अलंकार के 10 उदाहरण (Rupak Alankar) सरल भाषा में दिए गये हैं। यदि आपके किसी मित्र की इस तरह के लेख पढ़ने में रूचि है तो आप उसके साथ इस आर्टिकल को शेयर कर सकते हैं।

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