माता सरस्वती हिन्दू धर्म में ज्ञान, विद्या, कला तथा बुद्धि की देवी मानी जाती है। विज्ञान के क्षेत्र से ले कर विद्या के क्षेत्र में माँ सरस्वती जी की वन्दना की जाती है। यहाँ तक की संगीत के क्षेत्र में भी माँ सरस्वती जी को ही पूजा जाता है।
सरस्वती वन्दना मंत्र का जाप करने से ज्ञान, विद्या, धन, सुख-समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है। हर कोई ज्ञान प्राप्ति के लिए माँ सरस्वती की पूजा करता है। सरस्वती वंदना मंत्र का उच्चारण करने से बुद्धि और उच्च शिक्षा की हमे आसानी से प्राप्ति होती है। विद्यार्थी विद्या एवं शिक्षा की दृष्टि से तथा संगीतकार संगीत की दृष्टि से इस मंत्र का पठन करता है। जीवन में सफल होने के लिए विद्या की बहुत जरूरत है बिना ज्ञान के सफल होना असम्भव है। हमे मिल कर एक शिक्षित समाज की स्थापना करनी है ताकि एक विकसित समाज का निर्माण हो सकें और हर कोई शिक्षित हो सकें, तथा अपने जीवन को आसानी से बिना कष्टों के जी सकें तथा माँ सरस्वती की इस वन्दना को हर किसी को अर्थ सहित समझाना होगा इस वन्दना का पाठ करने से माँ सरस्वती प्रसन्न होती है और उनकी कृपा बनी रहती है। आइये जानते हैं कि या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता का हिंदी अर्थ क्या है?
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता का हिंदी अर्थ
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
अनुवाद/अर्थ
माँ भगवती सरस्वती जो विद्या तथा ज्ञान की देवी है, कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं तथा जो हमेशा श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, एवं इनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान रहती है, जो श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किये हुए हैं और भगवान ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा हमेशा पूजी जाती है, वही संपूर्ण जड़ता तथा अज्ञान को दूर करने वाली मां सरस्वती हर विपत्ति से हमारी रक्षा करें।
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
अनुवाद/अर्थ
जिस देवी का रूप सफेद है जो ब्रह्मविचार की परम तत्व हैं, आदिशक्ति है, सभी भयों से भयदान देने वाली देवी, भय को नष्ट करने वाली, जो ज्ञान को हमेशा इस संसार में फेलाती रहती है, जो वीणा, स्फटिक की माला और पुस्तक को हाथों में धारण किये हुए हैं। पद्मासन पर विराजमान बुद्धिप्रदान करने वाली माँ शारदा में आपकी वन्दना करता हूँ।
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