हिन्दू धर्म में तीर्थो का बड़ा महत्व है, पुराणों में कई प्रकार के तीर्थो का उल्लेख मिलता है। यह किसी न किसी प्रकार से हिन्दू धर्म के भगवानो से सम्बन्ध रखते हैं तथा पवित्र माने जाते हैं। तीर्थ स्थानों पर पवित्र मंदिर, नदी, तालाब होते हैं। इन नदियों में स्नान करने से पुण्य मिलता है और अगर किसी मुख्य दिन जैसे मकर संक्रांति जैसे दिनों में स्नान किया जाए तो यह और भी अधिक शुभ माना जाता है। तीर्थ पर जाने के लिए हिन्दू धर्म में कई नियमो का पालन करना होता हैं क्योकि यह सभी जगह पवित्र स्थलों के अंतर्गत आते हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ, पुष्कर, उज्जैन, गया, वृंदावन आदि कई प्रमुख तीर्थ है। हिन्दू धर्म में गंगासागर भी एक प्रमुख तीर्थ है और इस तीर्थ को लेकर एक धारणा भी कि सारे तीरथ बार बार गंगासागर एक बार, आगे इस लेख में हम जानेंगे कि ऐसा क्यों कहा जाता है।
सारे तीरथ बार बार गंगासागर एक बार क्यों कहा जाता है?
बंगाल की खाड़ी ने जहा गंगा नदी समुद्र में मिलती है उस स्थान को गंगासागर कहा गया है। यह बहुत ही पवित्र स्थान है यहा स्नान करने, दान करने से पुण्य मिलता है और अगर स्नान, दान आदि मकर संक्रांति पर किया जाए तो यह बहुत ही लाभकारी माना गया है।
गंगासागर एक महातीर्थ है यहा राजा सगर के 60,000 पुत्रों को मुक्ति मिली थी तथा इस स्थान पर पितरो का श्राद, पूर्वजो को मुक्ति दिलाई जाती है। इसीलिए यह स्थान को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। हर किसी को एक न एक बार गंगासागर की यात्रा अवश्य करना चाहिए क्योकि इस स्थान की एक बार की यात्रा आपको अनेक स्थान की कई बार की गयी यात्रा से अधिक फल देती है इसीलिए कहा जाता है कि सारे तीरथ बार बार गंगासागर एक बार। इस स्थान की यात्रा आपको 10 अश्वमेघ यज्ञ एवं एक हजार गाय दान के समान पुण्य देती है अगर आप संसार के सारे तीर्थ कर लेते हैं पर गंगासागर नही जाते हैं तो आपके बाकि के किये गये तीर्थो का लाभ भी पूर्ण रूप से आपको नही मिलता हैं।
सारे तीरथ बार बार गंगासागर एक बार कथन के पीछे की एक धारणा और है कि पहले के समय में गंगासागर जाना कठिन हुआ करता था क्योकि यह कोलकाता से 86 किलोमीटर दूर काकद्वीप पर स्थित है , इसके बाद सागर द्वीप पर 32 किलोमीटर यात्रा करने के बाद गंगासागर तीर्थ पहुचते हैं। इसीलिए पुराने समय के लोग कहते थे कि सारे तीर्थ कई बार कर सकते हैं पर गंगासागर केवल एक बार ही बहुत है।
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