यदि आप नहीं जानते हैं कि सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य क्या था? तो इस लेख को अंत तक जरुर पढ़े और इसे शेयर भी करें।
सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य क्या था?
सविनय अवज्ञा आंदोलन, महात्मा गांधी के नेतृत्व में, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय है। मार्च 1930 ईस्वी में शुरू होने वाले ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ इसे प्रमुख भारतीय संघर्ष माना जाता है। यह आंदोलन व्यापक असंतोष से उत्पन्न हुआ था। 6 अप्रैल, 1930 को, गांधी दांडी पहुंचे और सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की नमक कानून का विरोध किया।
इस आन्दोलन में ब्रिटिश शासन को समाप्त करना और पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना, और ‘नमक कर’ को समाप्त करना। सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारणों में साइमन कमीशन और 1919 के मोंटेग चेम्सफोर्ड अधिनियम का विरोध शामिल है।
1930 में भारत को समीक्षा के लिए भेजी गई रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया था कि केंद्र में भारतीयों को कोई जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। इससे कांग्रेस नेताओं में नाराजगी थी। भारतीय नेताओं ने 1928 में नेहरू की रिपोर्ट प्रस्तुत की, लेकिन जिन्ना ने इसके कुछ सुझावों का विरोध किया, जिसके कारण इसे अस्वीकार कर दिया गया। इसके अतिरिक्त, भारतीय नेताओं ने अंग्रेजों के प्रति नाराजगी जताई। दिसंबर 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव पारित किया गया। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कांग्रेस ने एक राष्ट्रीय आंदोलन शुरू करने का लक्ष्य रखा।
गांधी जी ने तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन के समक्ष 11 सूत्री मांग प्रस्तुत की, जिसमें नमक कर को समाप्त करने का अनुरोध भी शामिल था। हालांकि, इरविन ने इन मांगों को नजरअंदाज कर दिया, जिसके कारण ब्रिटिश सरकार के खिलाफ गांधीजी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई।
FAQs
अंग्रेजों की शांतिपूर्वक अवज्ञा करना नहीं तो उनके आदेशों की अवहेलना करना था।
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