सिन्धु सभ्यता के लोग सोना कहाँ से प्राप्त करते थे?


सिन्धु सभ्यता

सिन्धु घाटी सभ्यता का काल पूर्व हड़प्पा काल : 3300-2500 ईसा पूर्व, परिपक्व काल: 2600-1900 ई॰पू॰; उत्तरार्ध हड़प्पा काल: 1900-1300 ईसा पूर्व तक था। सिन्धु सभ्यता दुनिया की वह प्राचीन सभ्यता है जो दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में फेली हुई थी। इसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। शोधकर्ताओ के द्वारा यह पता लगाया गया है की इस सभ्यता में जो शहर मोजूद थे वे कई बार बसे और उजड़े है। आगे हम जानेंगे की सिन्धु सभ्यता के लोग सोना कहाँ से प्राप्त करते थे ?

हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा और राखीगढ़ी सिन्धु सभ्यता के प्रमुख केन्द्र थे। यह सभ्यता लगभग ८००० वर्ष पुरानी है । इस सभ्यता में किसी भी प्रकार के मंदिर के अवशेष नही मिले है पर ऐसा माना जाता है की वे लोग मातृदेवी के उपासक थे। शोध में यह पता चला की इस सभ्यता का अंत एक विशाल बाढ़ के कारण हुआ था । इस सभ्यता के लोग मिट्टी के बर्तन बनाना, कपड़े बनाना, ताबीज, जोहरी का काम किया करते थे पर ऐसा पता चला है की यह किसी भी चीज को बनाने में लोहे का प्रयोग नही करते थे हो सकता है की इन्हें लोहे का ज्ञान ना हो । इस सभ्यता में स्त्री की मूर्ति की पूजा की जाती थी जिस मूर्ति के पेट से एक उगता हुआ पोधा निकलता हुआ प्रतीत होता है, शोधकर्ता इस मूर्ति को धरती माता की मूर्ति मानते है ।

इस सभ्यता के लोग शिल्प और तकनीकी ज्ञान रखते थे इनके ओजार में यह पत्थरों का उपयोग करते थे। यह लोग मुद्रा निर्माण, मूर्ति का निर्माण भी बड़े अच्छे से कर लिया करते थे । यह लोग शिकार करने के लिए धनुष, तीर का उपयोग करते थे । सिंधु घाटी के समय भी सिंचाई की पर्याप्त सुविधा थी, इसलिए वे कृषि किया करते थे । और साथ साथ ही वे गाय, बैल, भैंस, भेड़, बकरी, ऊंट आदि का पालन भी किया करते थे ।

सिन्धु सभ्यता के लोग सोना कहाँ से प्राप्त करते थे ?

सिन्धु सभ्यता के लोग सोना कर्नाटक से प्राप्त किया करते थे और बहुमूल्य पत्थर, टिन का आयात गुजरात, ईरान और अफ़गानिस्तान से किया जाता था।

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