भगवान भोले नाथ को बेलपत्र चढ़ाने से बहुत से फायदे होते है भगवान शंकर हमसे प्रसन्न रहते है। और हमारे जीवन से सारी समस्याएँ ख़त्म हो जाती है। क्या आप जानते है कि सोमवार को बेलपत्र तोड़ना चाहिए या नहीं? अगर नही तो इस आर्टिकल को अंत तक पढियेगा।
सोमवार को बेलपत्र तोड़ना चाहिए या नहीं?
चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति और सोमवार को तथा दोपहर के बाद नहीं बिलपत्र नही तोड़ना चाहिए। इन दिनों तथा शाम के समय बिलपत्र तोड़ने से भगवान शिव क्रोधित हो जाते है। शिवलिंग पर बिलपत्र चढ़ाते समय कुछ बातो का ध्यान रखना होता है जैसे की बिलपत्र को तोड़ते समय मन्त्र का उच्चारण करना चाहिए अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रियःसदा। गृह्यामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्॥ जिसका अर्थ होता है अमृत से उत्पन्न सौंदर्य व ऐश्वर्यपूर्ण वृक्ष महादेव को हमेशा प्रिय है। भगवान शिव की पूजा के लिए हे वृक्ष मैं तुम्हारे पत्र तोड़ता हूं। शिवलिंग पर बेलपत्र हमेश उल्टा चढ़ाया जाता है यानिकी उसक चिकना वाला भाग निचे की और रखा जाता है। क्या आप जानते है कि शंकर भगवान् को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है।
शंकर भगवान को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है?
शंकर भगवान को बिलपत्र इसलिए चढ़ाया जाता है क्योकि बेलपत्र से विष का प्रकोप कम होता है और शंकर भगवान में इस संसार को बचाने के लिए विष का ग्रहण कर लिया था। इसीलिए भगवान शिव को बेलपत्र चढाने की परम्परा है। भगवान शंकर को जल इसलिए चढ़ाया जाता है क्योकि जल से क्रोध कम होता है तथा मन शांत रहता है।
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