दोस्तों हमारी सनातन परंपरा में संस्कृत भाषा का बहुत महत्व है क्योंकि इसे एक पवित्र भाषा माना जाता है। हमारे सारे वेड और मंत्र संस्कृत भाषा में ही लिखित है कहा जाता है इस भाषा में शब्दों के उच्चारण मात्र से व्यक्ति निर्भय, शक्ति, बुद्धि, आत्मसंयम और यहां तक कि अलौकिक ज्ञान भी प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा पाठ से भगवान को प्रसन्न भी किया जा सकती है। अब एक विशेष श्लोक तमसो मा ज्योतिर्गमय का हिंदी अर्थ समझेंगे।
तमसो मा ज्योतिर्गमय का हिंदी अर्थ
तमसो मा ज्योतिर्गमय बृहदारण्यक उपनिषद से लिया गया है। जिसकी संख्या बृहदारण्यक उपनिषद- 1/3/8 है। तमसो मा ज्योतिर्गमय का अर्थ “अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो।” होता है।
अक्सर, व्यक्तियों को इस श्लोक में निहित महत्व को समझने में कठिनाई होती है। प्राचीन ग्रंथों में इस बात को विस्तार से बताया गया है कि दुष्टता और नकारात्मक व्यवहार के प्रतीक अंधकार को त्यागना और सत्य के प्रतीक प्रकाश के मार्ग को अपनाना ही सही है।
ॐ असतो मा सद्गमय श्लोक का हिंदी अर्थ
ॐ असतो मा सद्गमय ।
तमसो मा ज्योतिर्गमय ।
मृत्योर्मा अमृतं गमय ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
इसका यह अर्थ होता कि हे भगवान मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो। मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो। मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो।
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