उत्साह के कितने भेद हैं?

उत्साह के कितने भेद हैं?

No Comments

Photo of author

By Shubham Jadhav

दो प्रमुख प्रश्न उत्साह किसे कहते हैं और उत्साह के कितने भेद हैं जो अधिकतर exams में पूछे जाते हैं, तो आइये जानते हैं कि इन प्रश्नों के क्या उत्तर है।

उत्साह किसे कहते हैं?

किसी भी कार्य को करने में अपनी पूरी सकारात्मक ऊर्जा लगाना तथा किसी भी प्रकार की पीड़ा को नजरंदाज कर कार्य को पूर्ण साहस के साथ करना ही उत्साह कहलाता है। भय को दूर रख कर आनन्द तथा सकारात्मकता के साथ काम करना ही उत्साह है।

बिना उत्साह के आप काम को अच्छे से सम्पन्न नही कर सकते हैं जिस काम को उत्साह से किया जाता है उसके पूर्ण होने की सम्भावना अत्यधिक होती है जिस काम को बिना उत्साह के किया जाता है वो कार्य या तो अनावश्यक होता है या फिर मजबूरी में करना पड़ता है।

उत्साह प्रिय कार्य में ही उत्पन्न होता है किसी भी प्रकार के अप्रिय काम में उत्साह अनुपस्थित ही रहा है परन्तु कई बार उत्साह कार्य मध्य में भी उत्पन्न हो जाता है।

उत्साह के कितने भेद हैं?

उत्साह के मुख्यत: तीन प्रकार के भेद होते हैं जो की युद्धवीर, दानवीर, दयावीर हैं। 

कुछ और महत्वपूर्ण लेख –

0Shares

Leave a Comment