हर भारतीय को पता होना चाहिए 1857 की क्रांति के ये कारण

1857 की क्रांति के संबंध में माना जाता है कि कारतूस में गाय तथा सुअर की चर्बी लगाने के कारण भारतीय सैनिकों में अंग्रेजों के खिलाफ भारी गुस्सा था।

लॉर्ड डलहौजी ने भारत में अपना साम्राज्य बढ़ाने के चलते विभिन्न अन्यायपूर्ण तरीके अपनाए।  डलहौजी ने पंजाब, सिक्किम को युद्ध कि नीति से उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया।

लॉर्ड डलहौजी ने जब बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहब की 8 लाख रुपए की पेंशन बंद कर दी गई। तो नाना साहब अंग्रेजों के शत्रु बन गए और उन्होंने 1857 ई. की क्रांति का नेतृत्व किया।

अंग्रेजों ने भारतीयों के सामाजिक जीवन में काफी समस्या पैदा की ,अंग्रेज हमेशा भारतीय परंपराओं के प्रति नकारात्मक भाव ही रखते थे।

उस समय भारतीयों को रेल में प्रथम श्रेणी कोच में सफर करने का हक़ नहीं था और न ही अंग्रजों द्वारा संचालित क्लबों तथा होटलों में भारतीयों को जाने की अनुमति थी । इन क्लबों तथा होटलों की तख्तियों पर 'कुत्तों तथा भारतीयों' के लिए प्रवेश वर्जित लिखा हुआ था।

अंग्रजों ने किसानो से बहुत अधिक लगान वसूला गया। जिससे किसान भी नाराज हो गए।

अंग्रेज ईसाई प्रचार हिंदू परंपराओं एवं इस्लाम की बहुत निंदा करते थे । अंग्रेज हिन्दू और मुसलामानों के अवतारों, पैगंबरों की खुलकर निंदा करते थे। जिसकी वजह से भारतीयों में काफी गुस्सा था।  

अंग्रजों ने भारतीयों का जमकर आर्थिक शोषण किया था। उन्होंने भारत में लूट-मार करके धन प्राप्त किया तथा उसे इंग्लैंड भेजा। 

अंग्रेज भारतीयों को बहुत लुटते थे वे भारत से कच्चा माल ब्रिटेन भेजते थे तथा वहां से मशीनों द्वारा तैयार माल भारत आता था। फिर उसे भारत में बेचा जाता था, जिसके कारण भारतीयों के उद्योग धंधे नष्ट हो गए थे।  

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