कोरोना के बाद अब आया मंकीपॉक्स ! क्या डरने की है जरूरत ?

मंकीपॉक्स एक वायरस है जो कि आम तौर पर जंगली और कुतरने वाले जानवरों में पाया जाता है। इनसे यह इंसान में फेल चूका है हाल ही में इसके कई मामले विदेशों में देखे गए हैं।  

क्या है  मंकीपॉक्स?

1958 में कुछ बंदरों पर रिसर्च किया जा रहा था रिसर्चर के अनुसार बंदरों में चेचक जैसी बीमारी हुई थी, जिसके बाद इसे मंकीपॉक्स का नाम दे दिया गया। बंदरो में पहली बार यह वायरस पाया गया था ।

कैसे पड़ा मंकीपॉक्स नाम ?

इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति को बुखार के साथ साथ शरीर पर बड़े बड़े दाने और गांठ दिखाई देने लगते है।

मंकीपॉक्स के लक्षण

कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?

मंकीपॉक्स तब फैलता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति, जानवर या वायरस से संक्रमित के संपर्क में आ जाता है. वायरस त्वचा, आंख, नाक और मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है. मानव-से-मानव में यह रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स के माध्यम से फैलता है. पशु से इंसानों में यह काटने या खरोंच के कारण फैल सकता है. सेक्स के दौरान भी यह एक इंसान से दूसरे में फैल सकता है।

मंकीपॉक्स के लिए वर्तमान में कोई प्रमाणित और सुरक्षित इलाज नहीं है, हालांकि चेचक के टीके वायरस के प्रसार को रोकने में काफी हद तक प्रभावी साबित हुए हैं।

क्या है इसका इलाज?

पहले के समय इसकी मृत्यु दर लगभग 4 प्रतिशत रही थी परन्तु वर्तमान में इस वायरस से किसी की मृत्यु नहीं हुई है , एक्सपर्ट का कहना है की इस वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है।  भारत में इसका एक भी मामला अभी तक दर्ज नहीं किया गया है।

क्या है मृत्यु दर  ?

भारत सरकार अलर्ट पर

एयरपोर्ट पर अफ्रीकी देशों से आने वाले यात्रियों के ऊपर नजर रखी जा रही है. मंकीपॉक्स वायरस किसी व्यक्ति में फैलने में 5 से 12 दिन तक का समय लेता है| 

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