मंकीपॉक्स एक वायरस है जो कि आम तौर पर जंगली और कुतरने वाले जानवरों में पाया जाता है। इनसे यह इंसान में फेल चूका है हाल ही में इसके कई मामले विदेशों में देखे गए हैं।
1958 में कुछ बंदरों पर रिसर्च किया जा रहा था रिसर्चर के अनुसार बंदरों में चेचक जैसी बीमारी हुई थी, जिसके बाद इसे मंकीपॉक्स का नाम दे दिया गया। बंदरो में पहली बार यह वायरस पाया गया था ।
मंकीपॉक्स तब फैलता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति, जानवर या वायरस से संक्रमित के संपर्क में आ जाता है. वायरस त्वचा, आंख, नाक और मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है. मानव-से-मानव में यह रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स के माध्यम से फैलता है. पशु से इंसानों में यह काटने या खरोंच के कारण फैल सकता है. सेक्स के दौरान भी यह एक इंसान से दूसरे में फैल सकता है।
पहले के समय इसकी मृत्यु दर लगभग 4 प्रतिशत रही थी परन्तु वर्तमान में इस वायरस से किसी की मृत्यु नहीं हुई है , एक्सपर्ट का कहना है की इस वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। भारत में इसका एक भी मामला अभी तक दर्ज नहीं किया गया है।
एयरपोर्ट पर अफ्रीकी देशों से आने वाले यात्रियों के ऊपर नजर रखी जा रही है. मंकीपॉक्स वायरस किसी व्यक्ति में फैलने में 5 से 12 दिन तक का समय लेता है|