ज्ञानवापी, ताजमहल के बाद अब क़ुतुब मीनार पर किया गया बड़ा दवा -
यह दावा किसी राजनैतिक पार्टी ने नहीं बल्कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक श्री धर्मवीर शर्मा ने किया है। जानिए क्या क्या कहते हैं शर्मा जी -
कुतुब मीनार नहीं यह एक वेदशाला है। इतिहास को सही करने का समय आ गया है।
पूर्व क्षेत्रीय निदेशक(भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग)
- धर्मवीर शर्मा
धर्मवीर शर्मा जी ने बताया कि यह एक वेदशाला जिसका निर्माण विद्वान् वराहमिहिर ने गन्धर्व काल में किया था।
आचार्य वराहमिहिर उज्जयनी नरेश चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य के नौ रत्नों में से एक थे।
वहां एक विष्णु गुप्त काल का लोहे का स्तम्भ (Iron Pillar) भी है और भगवान नरसिंह की मूर्ति भी इसलिए कई लोग इसे विष्णु मंदिर भी कहते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि इसमें जो 27 झरोखे बने हैं उन्हें 27 नक्षत्रों की गणना के लिए बनाया गया है। इसे ध्रुव स्तम्भ भी कहा जाता है व इसमें ज्योतिष और नक्षत्रों की गणना हेतु सांकेतिक चिन्ह भी बने हैं।
इस स्तंभ के नीचे खड़े होकर यदि आप 25 इंच झुककर देखेंगे तो आपको ध्रुव तारा दिखाई देता है।
दिखता है ध्रुव तारा
मुगलो ने ऊपर से चिपकाए अरबी के शिलालेख
क़ुतुब मीनार पूरी तरह से हिन्दू आर्किटेक्चर के तहत बनाया गया है और सर सैयद अहमद खां ने अरबी में लिखे शिलालेखों काअध्य्यन करके ये कहा था कि ये ऊपर से चिपकाए गए लगते हैं। मुगलिया सल्तनत ने अपने महिमामंडन के लिए सब चिपका दिया।