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सत्येंद्र ने पांच साल की उम्र में अपने स्थानीय प्राथमिक विद्यालय में एड्मीशन लिया। बाद में, उनके परिवार के कलकत्ता के गोआबगन पड़ोस में चले जाने के कारण, सत्येंद्र न्यू इंडियन स्कूल में एक छात्र बन गए थे। और इसके बाद उन्होंने कलकत्ता में हिंदू हाई स्कूल में पढ़ाई की।
पुरस्कार और उपलब्धियां – भारत सरकार ने इन्हे विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में उनकी सेवाओं के लिए 1954 में पद्म विभूषण की उपाधि से सम्मानित किया। और 1986 में एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज की स्थापना कलकत्ता में सरकार द्वारा की गई ।
बोस के इस परिक्षण से पहले वैज्ञानिक यह मानते थे कि परमाणु ही सबसे छोटा कण होता है लेकिन बाद में यह मालूम चला कि परमाणु के अंदर भी कई छोटे छोटे कण होते हैं जो की परमाणु से भी छोटे होते है जो कि वर्तमान में किसी भी नियम का पालन नहीं करते हैं. तब डॉ बोस ने एक नए नियम को सिद्द किया जो आज “बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी सिद्धांत” के नाम से मशहूर है।
गूगल ने आज सत्येंद्र नाथ बोस का डूडल बनाकर सत्येंद्र नाथ बोस जी को सम्मानित किया है. उन्होंने सन 1920 में क्वॉटम फिजिक्स पर शोध किया था, जिसके बाद उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली. आज तक उन्हें इस शोध के कारण जाना जाता है. और आप को बता दे की सत्येंद्र नाथ बोस मैथेमैटिशियन और थेओरिटिकल फिजिक्स के महारथी वैज्ञानिक थे.