जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएँ अपना जल समुद्र में मिला देती हैं, उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग, चाहे अच्छा हो या बुरा भगवान तक जाता है।
“ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हमीं हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है!”
“अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है।”
“हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें, हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध होगा, और परमात्मा उसमे बसेंगे।”
“शक्ति और विश्वास के साथ लगे रहो। सत्यनिष्ठा, पवित्र और निर्मल रहो तथा आपस में न लड़ो। हमारी जाति का रोग ईर्ष्या ही हैं।”
“यदि तुम नेता बनना चाहते हो तो सबके दास बनो। यह सच्चा रहस्य है। यदि तुम्हारें वचन कठोर भी होंगे, तब भी तुम्हारा प्रेम स्वत: जान पड़ेगा। मनुष्य प्रेम को पहचानता है, चाहे वह किसी भी भाषा में प्रकट हो।”
“शक्ति ही जीवन है और दुर्बलता ही मृत्यु है। शक्ति अनंत सुख है, चिरंतन और शाश्वत जीवन है। यह अटल सत्य हैं।”
“प्रत्येक विकास के पहले एक अंतर भाव रहता है, प्रत्येक व्यक्त दशा के पहले उसकी अव्यक्त दशा रहती है। मनुष्य इस श्रृंखला की एक कड़ी है।”
“हम जितने शान्तचित्त होंगे और हमारे स्नायु जितने संतुलित रहेंगे, हम जितने ही अधिक प्रेम-सम्पन्न होंगे – हमारा कार्य भी उतना ही अधिक उत्तम होगा।”
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