चाणक्य नीति; कुत्ते से सिखलो ये गुण असफलता रहेगी चार कोस दूर
आचार्य चाणक्य के अनुसार आप कुत्ते से भी कुछ ना कुछ सिख सकते हैं। चाणक्य-नीति शास्त्र के छठवें अध्याय में चाणक्य ने उन गुणों के बारें में बात की है जो आप कुत्ते से सिख सकते हैं जो आपके जीवन को सफल बनाने में सहयोग करेंगे।
हम कुत्ते को केवल एक जानवर मानते हैं परन्तु यह जानवर भी हमें बहुत कुछ सिखाता है। चाणक्य ने कुत्ते के चरित्र को ध्यान में रखते हुए यह नीतियाँ साझा की है।
श्लोक - वह्वशी स्वल्पसन्तुष्टः सुनिद्रो लघुचेतनः । स्वामिभक्तश्च शूरश्च षडेते श्वानतो गुणाः ॥20॥
अर्थ - चाणक्य कहते हैं कि कुत्ता भी हमे बहुत कुछ सिखाता है जैसे संतोष, सतर्कता और स्वामिभक्ति।
कुत्ता एक ऐसा जानवर है जिसमे संतोष की कोई कमी नही होती है यह गुण इंसानों को भी अपनाना चाहिए।
कुत्ता एक सतर्क जानवर है जो हमेशा सतर्क रहता है, अगर मनुष्य भी हमेशा सतर्क रहें तो वो जीवन में हमेशा सफल होता है।
यहाँ स्वामिभक्ति का अर्थ केवल मालिक की वफ़ादारी से नही है, अगर हमे जीवन में सफल होना है तो हमे हर उस चीज की भक्ति करना होगी जो हमारे जीवन का आधार है।