चाणक्य ने निति शास्त्र में उन 5 कार्यो के बारें में बताया है जिन्हें अगर आप अपनी युवा अवस्था में करेंगे तो आपको इसका अच्छा फल बुढ़ापे में मिलेगा। आइये जानते हैं उन कार्यो के बारें में।
जैसा बोएंगे वैसा पाएंगे
आचार्य चाणक्य का कहना है कि अगर आप स्वयं संस्कारी रहेंगे तो ही अपने बच्चो को संस्कार दे सकेंगे और संस्कारी बच्चे ही आपको बुढ़ापे में काम आएँगे। इसीलिए संस्कारो को कभी नही त्यागना चाहिए।
स्वच्छ चरित्र
चरित्र ही आपके जीवन का निर्माण करता है अगर आपका स्वच्छ चरित्र है तो लोग आखरी साँस तक आपका साथ देते हैं इसीलिए स्वच्छ चरित्र रखना चाहिए।
पद का घमंड न करें
कभी भी पद का घमंड ना करें अगर आप पद का घमंड करेंगे तो पद जाने के बाद लोग आपको बिलकुल भी सम्मान नही देंगे।
मददगार बनें
अगर आप युवा अवस्था से ही लोगो की मदद करेने से पीछे नही हटते हैं तो इसका सकारात्मक फल आपको आपकी वृद्धा अवस्था में मिलेगा। इसीलिए हमेशा मददगार बने रहना चाहिए।
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