भूल कर भी ना चढ़ाएं भगवान शिव को केतकी का यह फूल

केतकी के फूल का व्याख्यान प्राचीन समय से ही हमारे ग्रंथों में है पर इसे भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाता। इस फूल से हिन्दू धर्म की एक कहानी भी जुडी हुई है।

केतकी का फूल कैसा होता है? (Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai)

केतकी का फूल सुगन्धित,लम्बे, नुकीले, चपटे और मुलायम पत्ते वाला सफेद व पीले रंग का 5 पत्तियों वाला फूल होता है।

भगवान शिव को क्यों नही चढ़ता केतकी का फूल?

एक बार भगवान शिव ब्रह्मा और विष्णु के बीच चल रहे झगड़े को खत्म करने के लिए दोनों देवताओ की परीक्षा लेते है, शिव जी एक शिवलिंग का निर्माण करते है और विष्णु जी को उसका अंत एवं ब्रह्मा जी को उसका प्रारम्भ ठूंठने को कहते हैं।

दोनों देव इस कार्य को करने निकल पड़ते हैं तभी ब्रह्मा जी को केतकी का फूल दिखाई देता है तभी वह केतकी के फूल से कहते हैं की मेरे साथ शिव जी के पास चलो और उन्हें कहो की तुम मुझे इस शिवलिंग के सबसे आरम्भ में मिले हो

 केतकी का फूल मान जाता है और वे शिव जी के पास जाते हैं। केतकी का फूल जब यह झूठ शंकर भगवान से कहता है तो वे समझ जाते हैं की यह झूठ है क्योकि इस शिवलिंग का न प्रारम्भ है ना अंत है।

केतकी के फूल के इसी झूठ के कारण उसे भगवान शिव ने यह श्राप दिया था की वह कभी भी उनकी पूजा में प्रयोग नही किया जाएगा एवं उन्हें चढ़ाया भी नही जाएगा।

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