नमस्कार दोस्तों! जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इस दुनिया में अनेकों प्रकार के फूल हैं। कुछ सुगन्धित कुछ सुगंधहिन, छोटे और बड़े, रंगीन और बेरंग, इसी प्रकार एक फूल है केतकी का फूल। यह एक ऐसा फूल है जिसका व्याख्यान प्राचीन समय से ही हमारे ग्रंथों में है पर इसे शिवजी को नहीं चढ़ाया जाता। इस फूल से हिन्दू धर्म की एक कहानी भी जुडी हुई है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि केतकी का फूल कैसा होता है? और यह भगवान शिव को क्यों नही चढ़ता है क्या है? केतकी का फूल के श्रापित होने का कारण?
केतकी का फूल कैसा होता है?
केतकी का फूल एक सुगन्धित फूल है जिसके लम्बे, नुकीले, चपटे और मुलायम पत्ते होते हैं। केतकी का फूल सफेद एवं पीले रंग का होता है। इसमें से सफेद रंग वाले केतकी के फूल को केवड़ा भी कहा जाता है एवं जो पीले रंग का होता है उसे सुवर्ण केतकी के नाम से जाना जाता है। इस फूल की पत्तियों की पत्तियों की संख्या पांच होती है। निचे केतकी के फूल के चित्र को आप देखकर जान सकते हैं कि केतकी का फूल दिखने में कैसा होता है? यह सुगन्धित होने के अलावा काफी मुलायम भी होता है एवं दिखने में मनोरम। आगे के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि केतकी का पुष्प कब आता है, इसका पेड़ कैसा दिखता है? एवं भगवान शिव को क्यों नही चढ़ता है केतकी का फूल? क्या है इसके पीछे का कारण व सम्पूर्ण कथा?
केतकी का फूल कब आता है व इसका पेड़ कैसा दिखाई देता है?
केतकी का फूल प्रायः सावन के आगमन के साथ यानी वर्षा के मौसम में आपको देखने को मिलता है। यह फूल केतकी के पौधे पर लगता है और यह आसपास के वातावरण को इतना सुगन्धित कर देता है कि दूर से ही बताया जा सकता है की उस क्षेत्र में कोई केतकी का पेड़ है। निचे आप चित्र में देख सकते हैं कि इसका पेड़ कैसा दिखाई देता है। यह लगभग खजूर के पेड़ जैसा ही दिखाई पड़ता है। इसकी लम्बाई 4 मीटर यानि 12 फ़ीट तक हो सकती है। केतकी का पेड़ एक शाखित, ताड़ जैसा होता है जिसमें लचीला ट्रंक होता है जो कि जड़ों द्वारा समर्थित होता है। इसकी पत्तियां चमकदार होती हैं व 40 से 70 सेंटीमीटर तक लम्बी होती हैं एवं इनका रंग नीला-हरा होता है यह शाखा के सिरों पर तलवार के आकार में गुच्छों में उगती हैं। कहा जाता है कि केतकी को भारत से यमन में लाया गया जहां इसका मुख्य उपयोग इत्र बनाने के लिए किया जाता है।
भगवान शिव को क्यों नही चढ़ता केतकी का फूल?
देवताओं को उनकी प्रिय सामग्री ही अर्पित की जाती है। लेकिन देवों के देव महादेव यानि भगवान शिव ही ऐसे देवता हैं जिन्हें तरह-तरह की सामग्री अर्पित की जाती है। जैसे कमलगट्टा, धतूरा, बिलपत्र, शमीपत्र, लेकिन इन्हें केतकी का फूल कभी नहीं चढ़ाया जाता है। इसे भूलकर भी कभी शिवजी पर नहीं चढ़ाना चाहिए। इसका कारण शिव पुराण की एक कथा में मिलता है। यह कथा कुछ इस प्रकार है कि एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा में इस बात को लेकर झगड़ा हो गया था कि उन दोनों में से सर्वश्रेष्ठ कौन है? विष्णु जी कह रहे थे कि वे ही सर्वश्रेष्ठ हैं और दूसरी ओर ब्रह्मा जी का कहना था कि वे ही सर्वश्रेष्ठ हैं। इस बात को लेकर उनका विवाद बढ़ने लगा फिर इस विवाद को बढ़ता देख सभी देवता एक जुट हो कर भोले बाबा यानि शंकर जी पास गये और विवाद को खत्म करवाने की मांग करने लगे। भगवान शिव इस झगड़े को समाप्त करने के लिए दोनों देवताओ के बिच पहुचे और उनके वहां एक विशाल शिवलिंग निर्मित किया फिर दोनों से कहा कि आपमें से एक इस शिवलिंग का अंत और एक जन आरम्भ खोजो जो पहले सफल होगा वही सर्वश्रेष्ठ कहलाएगा।
भगवान विष्णु अंत खोजने के लिए ऊपर की ओर प्रस्थान कर गये और भगवान ब्रह्मा आरम्भ की खोज में निचे की ओर जाने लगे तभी कुछ दुरी पर उन्होंने उनके साथ निचे की ओर आते हुए एक केतकी के फूल को देखा और उसे कहा कि मेरे साथ भगवान शिव के पास चलो और उन्हें कहना कि मैंने इस शिवलिंग का प्रारम्भ ढूँढ लिया है, पर जैसे ही ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल के साथ मिल कर झूठ कहा तो भगवान शिव नाराज़ हो गये क्योकि वह जानते थे कि इस शिवलिंग का ना कोई अंत है और ना ही कोई आरम्भ तो उन्होंने नाराज़ होकर ब्रह्मा जी को श्राप दिया था कि “आपकी धरती पर पूजा नहीं की जाएगी” और केतकी के फूल को भी श्राप दे दिया था कि वह उनका पसंदीदा फूल है किन्तु फिर भी यह उन्हें नही चढाया जाएगा तभी से केतकी का फूल भगवान शिव को नही चढ़ता है। शंकर भगवान को सफेद रंग के पुष्प बहुत पसंद हैं, लेकिन यह सफेद पुष्प महादेव को अर्पित नहीं किया जा सकता है।
इसलिए भूल कर भी महादेव को केतकी का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए। उम्मीद है आप हमारी दी गयी इस जानकारी से संतुष्ट होंगे और आप जान गये होंगे की केतकी का फूल भगवान शिव को नही चढ़ता है। यदि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी तो भोले बाबा के भक्तों के साथ इसे शेयर करिये।
केतकी के फूल के साथ गाय माता को भी मिला था श्राप
प्रदीप मिश्रा जी ने हाल ही में अपनी एक शिव महापुराण की कथा में बताया कि जब ब्रह्मा जी शिवलिंग का आरम्भ खोज रहे थे, तब उन्हें केतकी का फूल और गाय दोनों दिखाई दिए और केतकी के पुष्प और गाय दोनों को ही वे अपने साथ मिथ्या भाषण के लिए ले आये। मिश्रा जी ने बताया कि सत्य को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती परन्तु जिस प्रकार ब्रह्मा जी दोनों प्रमाणों को भी झूठ बोलने हेतु ले आये थे, इसकी सजा उनको भी मिली। केतकी के फूल को शिव जी ने श्राप दे दिया कि तू मुझ पर कभी नहीं चढ़ाया जायेगा। इसके अलावा गाय को श्राप देते हुए शिवजी ने कहा कि गौ माता, तू पुरे जगत की माता होते हुए भी झूठ बोल गयी, तेरा पूरा शरीर पूजा जायेगा पर तेरा मुख अपूज्य माना जायेगा क्युकी तूने झूठ बोला है।
सनातन धर्म में सारे देवताओं की परिक्रमा आगे से होती है लेकिन गौ माता की परिक्रमा पीछे से होती है। कन्या दान आगे से, सारे दान आगे से होते हैं लेकिन केवल गौ दान पीछे से होता है। क्यों? क्यूंकि गौ माता ने झूठ बोल दिया था। उनका दान पूंछ पकड़कर किया जाता है।
इसलिए हमें भी कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। शिवजी का नाम ही है सत्यम शिवम् सुंदरम। जिसने सत्य को पकड़ कर रखा है उसको शिव मिल गया और जिसको शिव मिल गया उसका जीवन सुन्दर हो गया। तो बोलो हर हर महादेव!
सुनिए यह कथा पंडित प्रदीप जी मिश्रा के मुखारविंद से
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केतकी का फूल अंग्रेजी में क्या कहलाता है?
केतकी के पुष्प को अंग्रेजी में फ्रेग्रेंट स्क्रूपाइन (Fragrant Screw-pine) कहते हैं। इसके पेड़ को अंग्रेजी में अम्ब्रेला ट्री (Umbrella Tree) एवं स्क्रू ट्री (Screw Tree) भी कहते हैं। इसका साइंटिफिक नाम पैंडनस ओडोरिफर (Pandanus odorifer) है। हम आपको यह भी बता दें कि सामान्य भाषा में इसे केवड़ा भी कहा जाता है।
केतकी के अन्य नाम:
भारत में इसे कई नामों से बुलाया जाता है। इसका मूल नाम केतकी संस्कृत भाषा से आया है। इसके पेड़ को मलयालम में पुककैथा (pookkaitha) कहा जाता है व केतकी के फूल को थाज़मपू के नाम से जाना जाता है। वहीँ तमिल में इसे कैथाई और ताई कहा जाता है। अरबी भाषा की अगर बात करें तो अरबी में केतकी के पेड़ को अल-कादी कहते हैं। जापान में अदन कहते हैं।
केतकी का फूल कहां पाया जाता है?
केतकी का पेड़ पोलीनीशिया, ऑस्ट्रेलिया, साउथ एशिया, फिलीपीन्स, दक्षिण भारत एवं बर्मा में पाया जाता है। यह बांग्लादेश के सेंट मार्टिन्स आइलैंड पर भी बहुतायत से उगता है पर टूरिज्म एक्टिविटीज की वजह से काफी हद तक नष्ट हो गया है।
केतकी के फूल के उपयोग
जैसा की हमने शुरू में ही आपको बताया था कि केतकी का यह फूल काफी सुगन्धित होता है। इसीलिए केतकी के फूल से खासकर फैंसी परफ्यूम बनाए जाते हैं, यह दिखने में बहुत ही मनोरम पुष्प है इस कारण इससे गुलदस्ते भी बनाए जाते हैं। केतकी के फूल के अन्य उपयोग है कि इससे बालों का तेल, सौंदर्य प्रसाधन, साबुन, लोशन भी बनाये जाते हैं। यह ज्यादातर महंगे परफ्यूम, सुगन्धित पानी आदि बनाने में उपयोग में लाया जाता है।
निष्कर्ष:
फूलों का हमारे जीवन में अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान है। जब वे पेड़ पर लगे होते हैं तो हरा-भरा और रंगीन बगीचा हमारे मन को मोह लेता है, जब उन्हें तोड़कर माला में पिरोया जाता है तो वह भगवान को अर्पित कर दिए जाते हैं। इसके अलावा केवल एक फूल अपने प्रिय को देना प्रेम प्रकट करने के समान है। ये हमारे सुख-दुःख के साथी हैं। हम प्रसन्नता के समय भी इन्हें उपयोग में लाते हैं और किसी मृत्यु शय्या पर भी इन्हें चढ़ाते हैं।
इसी प्रकार से यह केतकी का फूल भी है। जो मन भावन है, इसका उपयोग कई तरह से किया जाता है। जैसे कि इससे इत्र, सौंदर्य प्रसाधन आदि निर्मित किये जाते हैं। लेकिन यह ऐसा श्रापित फूल है कि भगवान शिव की पूजा आराधना में यह केतकी का फूल बिलकुल भी उपयोग में नहीं लाया जा सकता है। हमने ऊपर पूरी कथा को आपके सामने प्रेषित किया और आपको यह बताया कि केतकी का फूल कैसा होता है एवं शिवजी को केतकी का फूल क्यों नहीं चढ़ाया जाता है। उम्मीद है यह जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके ज्ञान में वृद्धि हुई होगी। इसी प्रकार के ज्ञान वर्धक लेखों, सामान्य ज्ञान, कथाओं, निबंधों आदि के लिए ज्ञानग्रंथ से जुड़े रहिये। आप हमें फेसबुक, इंस्टाग्राम एवं गूगल न्यूज़ पर फॉलो भी कर सकते हैं। सावन सोमवार आते ही केतकी का फूल बहुत अधिक सर्च किया जा रहा है। लोग इसे OK Google (ओके गूगल) केतकी का फूल कैसा होता है, केतकी का फूल शिवजी को क्यों नहीं चढ़ाया जाता है आदि के द्वारा सर्च कर रहे हैं।
FAQs
भगवान शिव से झूठ कहने की वजह से शंकर भगवान ने केतकी के फूल को गुस्से में आकर यह श्राप दिया था की उसका उपयोग कभी भी भगवान शिव को चढ़ाने में नही किया जाएगा।
केतकी का पर्यायवाची केवड़ा होता है।
केतकी के फूल को सामान्य बोलचाल की भाषा में केवड़ा भी कहा जाता है। इसके और भी कई नाम हैं जो ऊपर इस लेख में दिए गए हैं।
सफ़ेद रंग वाला केतकी का फूल केवड़ा के नाम से एवं पीले कलर का केतकी का फूल सुवर्ण केतकी के नाम से जाना जाता है।
केवड़ा का फूल अत्यंत ही मनोरम, मुलायम होता है। इसे केतकी का फूल भी कहते हैं। ऊपर दिए गए चित्र को देखकर आप इसे आसानी से पहचान सकते हैं।
केतकी के पुष्प को श्राप स्वयं देवों के देव महादेव ने दिया था क्यूंकि केतकी के फूल ने ब्रह्मा जी के साथ मिलकर झूठ कहा था।
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