Maha Mrityunjaya Mantra likhaa hua

सम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र लिखा हुआ एवं उसका हिंदी में अर्थ

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By Shubham Jadhav

भगवान शिव जिन्हें भोलेनाथ, शंकर, नीलकंठ, रूद्र, गंगाधर, आदियोगी आदि नामों से जाना जाता है। शिव जी बड़े दयालु हैं वे अपने भक्तों में भेद-भाव नहीं करते उनके लिए सभी समान है। वे अपने सभी भक्तों को मन चाहा वरदान देते हैं, धर्मग्रंथों में उनके वरदानो की अनेक कथाएं है उन्ही में से एक कथा है महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति के बारे में । आइये जानते है इस परम कल्याणकारी कथा के बारे में। और इस लेख में आपको महामृत्युंजय मंत्र लिखा हुआ मिल जाएगा।

महामृत्युंजय मंत्र कथा :

महामृत्युंजय मंत्र मृत्य को जीत लेने वाला मंत्र है इसकी कथा के अनुसार परम शिव भक्त ऋषि मृकण्डु की कोई संतान नहीं थी तो उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए भगवान शंकर की बहुत तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर शंकर जी ने इच्छानुसार संतान प्राप्त करने का वरदान दिया। लेकिन उन्होंने बताया कि इस संतान की आयु कम होगी। भगवान शिव की कृपा से ऋषि मृकण्डु के घर एक पुत्र का जन्म हुआ जिस नाम उन्होंने मार्कण्डेय रखा।

ऋषियों ने बताया की मार्कण्डेय की आयु 16 वर्ष ही होगी। यह जानकर ऋषि मृकण्डु शोक में डूब गए लेकिन उनकी उनकी पत्नी ने कहा की जब शिव जी की कृपा से इसका जन्म हुआ है तो शिव जी ही इसकी रक्षा करेंगे। तब ऋषि ने अल्पायु की बात अपने पुत्र मार्कण्डेय को बताई और कहा की तुम्हे शिव जी की भक्ति करना चाहिए और उन्हें एक शिव मंत्र दिया।

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सम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र : 

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भुवः ॐ सः जूं हौं ॐ।

तब मार्कण्डेय ने शिव जी से दीर्घायु का वरदान पाने के लिए तपस्या करना प्रारंभ किया और शिव जी की उपासना करने के लिए उन्होंने एक मंत्र की रचना की जिसे महामृत्युंजय मंत्र का नाम दिया। जब उनकी मृत्य का समय आया तो यमराज प्राण लेने आये और उन्होंने अपना पाश मार्कण्डेय पर फेका, तो वो शिवलिंग से लिपट गए और पाश शिवलिंग पर गिरा, जिससे शिव जी क्रोधित हो गए और यमराज को मार्कण्डेय के प्राण लेने से रोका। इस बात पर यमराज ने मार्कण्डेय के पूर्व लिखित भाग्य के बारे में याद दिलाया। तो शिव जी ने मार्कण्डेय को दीर्घायु का वरदान दिया और भाग्य को बदल दिया।

महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ –

इस “मृत्यु को जितने वाले” मंत्र ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ का अर्थ है कि –

“हम भगवान त्रिनेत्र धारी भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और समस्पूत संसार का पालन-पोषण करते हैं, उनसे हम प्रार्थना करते है, कि वे हमें जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त कर दें, ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए, जैसे एक खरबूजा पक जाने के बाद अपनी बेल के बंधन से मुक्त हो जाता है ठीक वेसे ही हमें इस संसार रूपी बेल से मुक्त करे।”

इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद यहाँ आपको सम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र लिखा हुआ एवं उसका हिंदी में अर्थ मिला। भगवान शिव आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करें। जय श्री महांकाल

FAQs

महा मृत्युंजय मंत्र कौन सा है?

महामृत्युंजय मंत्र को मृत संजीवनी मंत्र भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसका जप करने से मरते हुए व्यक्ति को जीवनदान मिल सकता है। सम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र लिखा हुआ हिंदी अर्थ सहित आप ऊपर पढ़ सकते हैं।

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