सनातन हिन्दू धर्म का मूलाधार वेद है। वेदों से ही मनुष्य को जीवन जीने की राह मिली है। वेद शब्द का निर्माण संस्कृत भाषा के विद धातु से हुआ है, जिसका अर्थ है ज्ञान। इस प्रकार वेद कर अर्थ “ज्ञान” होता है। माना जाता है, कि वेदों का निर्माण ईश्वर द्वारा किया गया है। परमात्मा द्वारा सबसे पहले ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का ज्ञान क्रमशः अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा ऋषियों को प्रदान किया था और उन महर्षियों ने ब्रह्मा जी को यह ज्ञान दिया। इस लेख में हम जानेंगे कि Sabse Purana Ved Kaun Sa Hai – सबसे पुराना वेद कौन सा है?
सबसे पुराना वेद कौन सा है (Sabse Purana Ved Kaun Sa Hai)
सबसे पुराना वेद ऋग्वेद है। यह सबसे प्रथम वेद है जिसमे देवताओं का वर्णन है और उनकी स्तुति की विधि लिखी है। इसमें मण्डलों की संख्या 10, 1028 सूक्त और 10,462 मंत्र हैं। यज्ञ के समय देवताओं के आह्वान के लिये मंत्र दिए गए हैं। इतिहासकारों के अनुसार ऋग्वेद हिन्द व यूरोपियन भाषा क्षेत्र की पहली रचना है। यह ग्रन्थ इतने प्राचीन होकर भी वर्तमान समय में अपनी मान्यता बनाए हुए है।
ऋग्वेद की विशेष बातें –
ऋग्वेद की कुछ विशेष बातें निम्नलिखित है-
- ॠग्वेद में 10 मण्डल, 1028 सूक्त और 10580 ऋचाएं हैं।
- वर्तमान में उपलब्ध विश्व का सबसे प्राचीन ग्रन्थ है।
- इसमें हिन्दू धर्म के 33 प्रकार के देवी- देवताओं का वर्णन है।
- इन्द्र को सर्वमान्य व शक्तिशाली देवता माना गया है।
- ऋग्वेद के नासदीय सूक्त में निर्गुण ब्रह्म का वर्णन है।
- ऋग्वेद में छोटी-बड़ी 25 नदियों का उल्लेख मिलता है। सबसे पवित्र सरस्वती नदी को बताया है और सिन्धु नदी को अधिक महत्व दिया गया है। यमुना नदी का 3 बार व गंगा का 1 बार उल्लेख किया गया है।
- ऋग्वेद में कुछ कन्याओं का उल्लेख मिलता है जो आजीवन अविवाहित रहती है जिन्हें ‘अमाजू’ नाम से संबोधित किया गया है।
- ऋग्वेद में कृषि के बारे में उल्लेख भी किया गया है।
- इस वेद में हिमालय पर्वत के बारे में भी उल्लेख किया गया है।
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