हर वर्ष माघ शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन देवी सरस्वती की पोजा अर्चना की जाती है, भारत के अलावा यह त्यौहार नेपाल में भी मनाया जाता है। इस दिन पीले वस्त्रो को धारण करने की परम्परा है। बसंत के मौसम गेंहू सोने की तरह चमकने लगते हैं, आमो की शुरवात होने ही वाली रहती है। माना जाता है कि वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता जाता है। आज हम आपके लिए लाये हैं इसी उल्लास से भरे मौसम पर कुछ कविताएँ तो आइये पढ़ते है बसंत पंचमी पर कविता 2023 । (Basant Panchami Poem in Hindi)
बसंत पंचमी पर कविता 2023 (Basant Panchami Poem in Hindi)
Poem 1 (बसंत पंचमी पर कविता)
सब का हृदय खिल-खिल जाए,
मस्ती में सब गाए गीत मल्हार।
नाचे गाए सब मन बहलाए,
जब बसंत अपने रंग-बिरंगे रंग दिखाएं।।
सूरज की लाली सबको भाए,
देख बसंत वृक्ष भी शाखा लहराए।
खुला नीला आसमां सबके मन को हर्षाये,
जब बसंत अपने रंग-बिरंगे रंग दिखाएं।।
खिलकर फूल गुलाब यूँ इठलाए,
चारों ओर मंद-मंद खुशबू फैलाए।
प्रकृति भी नए-नए रूप दिखाएं,
जब बसंत अपने रंग-बिरंगे रंग दिखाएं।।
नई उमंग लेकर नदियां भी बहती जाए,
चारों ओर हरियाली ही हरियाली छाए।
शीत ऋतु भी छूमंतर हो जाए,
जब बसंत अपने रंग-बिरंगे रंग दिखाएं।।

Poem 2 (बसंत पंचमी पर कविता)
धरा पे #छाई है हरियाली
खिल गई हर इक डाली डाली
नव पल्लव नव #कोपल फुटती
मानो कुदरत भी है हँस दी
छाई #हरियाली उपवन मे
और छाई मस्ती भी पवन मे
उडते पक्षी #नीलगगन मे
नई उमन्ग छाई हर मन मे
लाल #गुलाबी पीले फूल
खिले शीतल #नदिया के कूल
हँस दी है #नन्ही सी #कलियाँ
भर गई है #बच्चो से #गलियाँदेखो नभ मे उडते पतन्ग
भरते #नीलगगन मे रंग
देखो यह #बसन्त मसतानी
आ गई है #ऋतुओ की #रानी।
Poem 3 (बसंत पंचमी पर कविता)
आओ, आओ फिर,
मेरे बसन्त की परी–छवि-विभावरी,
सिहरो, स्वर से भर भर,
अम्बर की सुन्दरी-छवि-विभावरी।
निर्जन ज्योत्स्नाचुम्बित वन सघन,
सहज समीरण, कली निरावरण
आलिंगन दे उभार दे मन,
तिरे नृत्य करती मेरी छोटी सी तरी–
छवि-विभावरी।
आई है फिर मेरी ’बेला’ की वह बेला
’जुही की कली’ की प्रियतम से परिणय-हेला,
तुमसे मेरी निर्जन बातें–सुमिलन मेला,
कितने भावों से हर जब हो मन पर विहरी–
छवि-विभावरी।
बहे फिर चपल ध्वनि-कलकल तरंग,
तरल मुक्त नव नव छल के प्रसंग,
पूरित-परिमल निर्मल सजल-अंग,
शीतल-मुख मेरे तट की निस्तल निझरी–
छवि-विभावरी।

Poem 4 (बसंत पंचमी पर कविता)
गाओ सखी होकर मगन आया है वसंत
राजा है ये ऋतुओं का आनंद है अनंत।
राजा है ऋतुओं का आनंद है अनंत
गाओ सखी होकर मगन आया है वसंत।
पीत सोन वस्त्रों से सजी है आज धरती
आंचल में अपने सौंधी-सौंधी गंध भरती।
सीख लो इस ऋतु में क्या है प्रेम मंत्र
गाओ सखी होकर मगन आया है वसंत।
राजा है ऋतुओं का आनंद है अनंत
गाओ सखी होकर मगन आया है वसंत।
तुम भी सखी पीत परिधानों में लजाना,
नृत्य करके होकर मगन प्रियतम को रिझाना।
नील पीत वातायन में तेजस प्रखर भास्कर
स्वर्ण अमर गंगा से बागों और खेतों को रंगकर।
हो न कभी इस मोहक मौसम का अंत
गाओ सखी होकर मगन आया है वसंत।
स्वर्ग सा गजब अद्भुत नजारा बिखेरकर
लौट रहे सप्त अश्वों के रथ में बैठकर।
Poem 5 (बसंत पंचमी पर कविता)
बसंत #ऋतू आयी है,
रिश्तो में मिठास है।
खेतों में #बहार है,
किसानों के मुख पर मुस्कान है।।
डाल-डाल पर #बैठकर,
पंछी नए #गीत गा रहे है।
खिल रहे है #फूल रंग बिरंगे,
जैसे हो रहा हो #धरती का नया जन्म।।
#आशाओं को नई #उम्मीद लगी है,
पेड़ो ने भी बाह #फैला कर स्वागत किया है।
सर्दी हो गयी ना जाने कहा गुम,
अब सुहावना #मौसम आया है,
अब #बसंत ऋतू आयी है।।
खुला #नीला आसमान है,
बह रही है #शीतल हवा।
सबका मन प्रसन्न है,
यही #बसंत पंचमी का #त्यौहार है।।

FAQs
बसंत पंचमी वसंत को माँ सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता हैं।
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