दुनिया की पहली परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बी को 21 जनवरी, 1954 को अमेरिका की तत्कालीन प्रथम महिला मेमी आइज़नहॉवर ने लांच किया था। इसकी खासियत थी कि यह चार महीने तक बिना सतह पर लौटे दुनिया का चक्कर लगा सकती थी। इसके बाद सोवियत रूस ने 1958 में अपनी पहली परमाणु पनडुब्बी तैयार की थी। 1950 के दशक से 1997 तक रूस ने 245 परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण कर लिया था। यह संख्या अन्य सभी देशों की कुल पनडुब्बियों से भी अधिक थी। जानिए दुनिया की पहली परमाणु संचालित पनडुब्बी कौन सी है? (Duniya Ki Pahli Parmanu Sanchalit Pandubi Kaun Si Hai)
Duniya Ki Pahli Parmanu Sanchalit Pandubi Kaun Si Hai
दुनिया की पहली परमाणु संचालित पनडुब्बी ‘यूएसएस नॉटिलस (एसएसएन-571)’ है ।
परमाणु पनडुब्बी क्या है?
जब वैज्ञानिकों ने परमाणु को विभाजित किया तब उन्हें पता चला कि इनका उपयोग केवल बम बनाने में ही नहीं बल्कि बिजली उत्पन्न करने में भी किया जा सकता है, परमाणु रिएक्टर पिछले 70 वर्षों से घरों और उद्योगों को बिजली प्रदान कर रहे हैं। परमाणु पनडुब्बियां भी इसी तकनीक से काम करती हैं। परमाणु पनडुब्बी में एक छोटा न्यूक्लियर रिएक्टर लगा होता है, जिसमें ईंधन के रूप में अत्यधिक समृद्ध यूरेनियम का उपयोग करते हुए बिजली पैदा की जाती है।
कोनसी पनडुब्बी ज्यादा ताकतवर डीज़ल या परमाणु ?
एक्सपर्ट का मानना है कि परमाणु पनडुब्बी, डीज़ल पनडुब्बी की तुलना में काफी ताकतवर होती है। परमाणु पनडुब्बी सेकड़ो मीटर नीचे लम्बे समय तक रह सकती है। साथ ही यह पानी अंदर 60 Km/h की स्पीड से तेर सकती है। यह डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की तुलना में काफी समय तक अपने लक्ष्य के बिलकुल नजदीक रह सकती हैं।
किन किन देशो के पास है परमाणु पनडुब्बी
दुनिया के केवल छह देशों, अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, चीन और भारत की नौसेनाओं के पास परमाणु पनडुब्बियां हैं। अज्रेन्टीना और ब्राजील अपने लिए परमाणु पनडुब्बियां बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
परमाणु पनडुब्बी की खासियत
परमाणु पडुब्बियां न केवल तबाही मचा सकती हैं, बल्कि इनके रख रखाव का खर्च भी काम होता है । इतना ही नहीं, परमाणु शक्ति से संचालित पनडुब्बी किसी परंपरागत या डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बी की तुलना में ज्यादा दिनों तक पानी के नीचे रह सकती है। युद्ध के समय इनकी खास भूमिका होती है।
FAQs
भारत की प्रथम स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी का नाम आईएनएस अरिहंत है जो 6000 टन वजनी है। इसे 83 मेगावॉट के दबाव वाली लाइट वाटर रिएक्टर से शक्ति मिलेगी।
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