रामायण महाकाव्य में मुख्य पात्रो में से एक हैं हनुमान जी। जो राम जी के परम भक्त हैं और जिन्हें चिरंजीवी रहने का वरदान प्राप्त है। यह भगवान शिव के अवतार है तथा महाबलशाली है, इनके पराक्रम की अनेक गाथाएँ आपको रामायण में पढ़ने को मिल जाएंगी। भगवान शंकर के अवतार हनुमान जी वानर रूप में हैं। हनुमान जी की माता का नाम अंजनी है, पिता का केसरी है पर इनके अध्यात्मिक पिता वायुदेव हैं। मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान और धृतिमान हनुमान जी के भाइयो के नाम हैं। हर वर्ष हनुमान जयंती चैत्र पूर्णिमा को मनाई जाती है। हनुमान जी का रूप काफी दुर्लभ है, इनका वानर के समान मुख है और काफी बलशाली शरीर तथा कंधे पर जनेऊ और पुरे शरीर पर मात्र एक लंगोट तथा आभूषण से घिरा हुआ हैं। सुंदरकांड हनुमान जी पर ही निर्मित है तथा महाभारत में भी हनुमान जी का जिक्र मिलता है। हनुमन जी के बारह नाम है आइये जानते हैं हनुमान जी के बारह नाम और उनका अर्थ क्या है ।
हनुमान जी के बारह नाम
- हनुमान,
- अंजनीसुत,
- वायुपुत्र,
- महाबल,
- रामेष्ट,
- फाल्गुण सखा,
- पिंगाक्ष,
- अमित विक्रम,
- उदधिक्रमण,
- सीता शोक विनाशन,
- लक्ष्मण प्राणदाता,
- दशग्रीव दर्पहा,
हनुमान जी के बारह नाम का अर्थ
हनुमान
हनुमान जी पर जब इंद्र ने वज्र से प्रहार किया था तब उनकी ठुड्ढी टूट गयी थी, ठुड्ढी को संस्कृत में हनु कहा जाता है इसीलिए उनका नाम हनुमान पड़ा था।

अंजनीसुत
माता अंजनी के पुत्र होने के कारण हनुमान जी को अंजनीसुत भी कहा जाता है। अंजनीसुत के साथ साथ उन्हें आंजनेय नाम से भी पुकारा जाता हैं।

वायुपुत्र
वायु भगवान हनुमान जी के अध्यात्मिक पिता है जिस कारण हनुमान जी को वायुपुत्र भी कहा जाता हैं, वायु पुत्र होने के कारण हनुमान जी को वातात्मज, पवनपुत्र, वायुनन्दन और मारुति आदि भी कहा जाता है।

महाबल
हनुमान जी के पास अत्यधिक बल था माना जाता है कि उनके पास रावण तथा बालि के बल से भी अधिक बल था जिस कारण उन्हें महाबल भी कहा गया है।

रामेष्ट
हनुमान जी राम भगवान के परम भक्त है तथा हनुमान जी भगवान राम को भी अत्यधिक प्रिय है जिस कारण उन्हें रामेष्ट कहा गया है। अगर आप राम भगवान की भक्ति करते हैं तो हनुमान जी भी प्रसन्न होते हैं।

फाल्गुण सखा
फाल्गुन का अर्थ है अर्जुन। महाभारत के समय हनुमान जी ने अर्जुन के रथ के उपर स्थान ग्रहण कर अर्जुन की युद्ध में सहायता की थी जिस कारण उन्हें फाल्गुण सखा भी कहा गया है।

पिंगाक्ष
पिंगाक्ष का अर्थ होता है भूरी आंखों वाला। हनुमान जी की आँखों का रंग थोडा भूरा है जिस कारण उन्हें पिंगाक्ष भी कहा गया है।

अमित विक्रम
अमित का अर्थ है अत्यधिक तथा विक्रम का मतलब होता हैं पराक्रमी। हनुमान जी अत्यधिक पराक्रमी है वे बहुत से ऐसे कार्य भी आसानी से कर दिया करते हैं जो देवताओं के लिए भी कठिन हो सकते हैं।

उदधिक्रमण
उदधिक्रमण का मतलब है समुद्र को लांघने वाले या उस पर अतिक्रमण करने वाले। माता सीता की खोज में हनुमान जी ने लंका पहुचने के लिए समुद्र को लाँघ लिया था और वह सम्पूर्ण समुद्र पर अतिक्रमण रखने की क्षमता रखते हैं इसीलिए उन्हें उदधिक्रमण भी कहा जाता हैं।

सीता शोक विनाशन
रावण के द्वारा जब सीता माता का अपहरण कर लिया गया था तब उन्हें अशोक वाटिका में रखा गया था इस समय माता सीता अत्यधिक शोक में थे इस समय हनुमानजी लंका पहुच गये थे और उन्होंने माता सीता को हिम्मत दी थी तथा उनके शोक का नाश किया था इसीलिए उन्हें सीता शोक विनाशन भी कहते हैं।

लक्ष्मण प्राणदाता
युद्ध के समय जब लक्ष्मण मेघनाथ के अस्त्र से मूर्छित हो गये थे तभी वैद्य ने कहा की इनके प्राण केवल संजीवनी बूटी ही बचा सकती है तो हनुमान जी हजारो मिल दूर से संजीवनी ले कर आये थे, संजीवनी की पहचान न होने के कारण वे जिस पर्वत पर संजीवनी बूटी का पौधा था उस पुरे पर्वत को ही लंका ले आये थे इस कारण उन्हें लक्ष्मण प्राणदाता कहते हैं।

दशग्रीव दर्पहा
दशग्रीव दर्पहा का अर्थ होता है रावण के घमंड को तोटने वाला। हनुमान जी ने कई बार रावण के घमंड को चूर किया था जिस कारण उन्हें दशग्रीव दर्पहा भी कहा जाता है। एक बार उन्होंने लंका दहन कर और एक बार रावण के पुत्र अक्षय कुमार का वध कर रावण के घमंड का नाश किया था।

FAQ
जी हाँ! हनुमान जी 8 चिरंजीवियों में से एक हैं। वे कलयुग के अंत तक पृथ्वी पर ही वास करेंगे।
आज आपने जाना हनुमान जी के बारह नाम का अर्थ। इसी तरह के और भी रोचक एवं ज्ञानवर्धक विषयों को जानने के लिए ज्ञानग्रंथ के साथ जुड़े रहिये। आप हमें फेसबुक, इंस्टाग्राम व ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।
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