झुला झुलना बहुत से लोगों को पसंद होता है, पर कई लोग ऐसे होते हैं जो झूले में बैठने से डरते हैं। भारत में कई तरह के झूले होते हैं यहा तक की उनके नाम भी अलग अलग हो सकते हैं पर भारतीय हर उस वास्तु को झुला ही कहते हैं जो झूलता हुआ होता है और जिस पर बैठ कर झुला जा सकता है। इसका आकार छोटे से लेकर बड़े तक होता है जिस कारण कुछ झूलों में केवल 1 व्यक्ति बैठ सकता है और कुछ झूलों में एक साथ कई लोग बैठ कर झूल सकते हैं।
साधारण झुला जो घरों में या खेतों में लगा होता है उसे बनाने के लिए एक रस्सी या चैन को इस तरह बांधा जाता है कि उसके नीचे के भाग में बैठने के लिए कुछ लगाया जाता है जो लकड़ी लोहे किसी भी मटेरियल का हो सकता है। गाँवों में पेड़ों के नीचे इस तरह के झूलें लगाएं जाते हैं और खासकर वर्षा ऋतू में इनका आनंद लिया जाता है इसके अलावा बड़े बड़े कार्यक्रमों में और मेलों में भी झूले लगाएं जाते हैं जिनमे एक साथ कई लोग बैठ कर उसका आनंद उठा सकते हैं।
पर कई स्थानों में नदी को पार करने के लिए भी लम्बे झूले बनाएं जाते हैं तो नदी के ऊपर झूलते हुए होते हैं जिसके मदद से नदी को पार किया जा सकता है, भारत में इस तरह का लक्ष्मण झुला पाया जाता है जो गंगा नदी के ऊपर है तथा ऋषिकेश में स्थित है।
झूले को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
क्या आप जानते हैं कि झूले को इंग्लिश में क्या कहते हैं यदि नहीं तो आपको बतादें कि झूलें को इंग्लिश में Swing कहा जाता है।
FAQs
झुला झूलने से शरीर में सकारात्मकता आती है और साथ ही मन भी खुश होता है व्यक्ति प्रसन्न महसूस करता हैं जिस कारण कई लोगों को झुला झूलने की आदत होती है।
बच्चा जब लगभग तीन महीने का हो जाता है तब उसके लिए झुला उचित होता है क्योंकि इस उम्र में बच्चा कटवाट लेने लगता है।
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