करवा चौथ का व्रत हर शादीशुदा महिला के लिए अत्यधिक महत्व रखता हैं, क्योकि वह पुरे साल इस दिन का बेसब्री से इंतजार करती है तथा इस दिन व्रत रख कर अपने पति की लम्बी उम्र की मनोकामना मांगती है। इस दिन व्रत रखने से तथा नियमानुसार पूजा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। करवा चौथ के दिन उपवास रखा जाता है तथा कई धार्मिक कार्यक्रम किये जाते हैं मंदिर में जाना होता है भगवान की पूजा की जाती है। ऐसे में यदि किसी महिला को इस पीरियड्स आ जाएँ तो वह चिंतित ही जाती है तथा उसके मन कई तरह के प्रश्न जन्म लेने लगते हैं क्योकि हिन्दू धर्म में पीरियड्स के दौरान किसी भी तरह की पूजा पाठ नहीं की जाती है इसी कारण व्रत रखने वाली महिला चिंता में पड़ जाती है की उसका व्रत व्यर्थ तो नहीं चला जाएगा क्योकि वह पीरियड्स के कारण पूजा नहीं कर सकेंगी। तो आइयें जानते हैं कि पीरियड्स में करवा चौथ का व्रत कैसे करें? और किन किन बातों का खास ध्यान रखे ताकि व्रत पूर्ण हो सकें।
पीरियड्स में करवा चौथ का व्रत
पीरियड्स के दौरान व्रत रखा जा सकता है क्योकि पीरियड्स में उपवास रखने की कोई मनाही नहीं है, पर महिला स्वयं पूजा नहीं कर सकती है उसे किसी अन्य स्त्री से या सहेली से पूजा करवाना चाहिए और जिस महिला को पीरियड्स हैं उन्हें भगवान से दूरी भी बना कर रखना होती है। वह महिला किसी भी पूजा की सामग्री को नहीं छू सकती है तथा पूजा घर में भी जाने से बचना चाहिए, पूजा घर के बाहर ही रह कर पूजा में शामिल होना चाहिए। पीरियड्स में करवा चौथ की कथा सुन सकते हैं इसीलिए महिला को थोड़ी दूरी बना कर यह कथा जरुर सुनना चाहिए ऐसे में महिला को कथा का पूर्ण लाभ मिलता है।
पीरियड्स में स्त्री चांद को अर्घ्य दे सकती है, इसीलिए रात्रि के समय जब चंद्रमा दिखाई दे दो चांद को अर्घ्य देने के बाद छलनी से पति को देख कर अपने पति के साथ व्रत को खोलना चाहिए। इन कार्यो की किसी व्ही तरह से मनाही नहीं है इसीलिए पीरियड्स के दौरान महिला को बिलकुल भी नहीं घबराना चाहिए तथा नियमो का पालन करते हुए अपने करवा चौथ के व्रत को पूरा करना चाहिए।
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