भारत देश में अनेक रचनाकार हुए है जो अपनी रचनाओ से लोगो के दिल जीत लेते है और समाज में अपनी अलग ही छवि बना कर रखते है जो बहुत ही सम्मानीय होती है । वेसी ही एक रचना है “चांद का मुंह टेढ़ा है” क्या आप इस रचना के बारे में जानने के लिए यहाँ आये है तो आगे आपको इस रचना से सम्बन्धी बहुत से सवालो के जवाब मिल जाएँगे जेसे की चांद का मुंह टेढ़ा है किसकी रचना है? और चांद का मुंह टेढ़ा है किस विधा की रचना है आदि ।
चांद का मुंह टेढ़ा है किसकी रचना है ?
गजानन माधव मुक्तिबोध द्वारा लिखी गयी कविताओं का संग्रह है “चाँद का मुँह टेढ़ा है”। यह भारत के प्रसिद्धि कवियों मेसे एक है। 1 जनवरी, सन 2004 को ‘भारतीय ज्ञानपीठ’ द्वारा इस पुस्तक का प्रकाशन किया गया था।
गजानन माधव मुक्तिबोध
गजानन माधव मुक्तिबोध का जन्म 13 नवम्बर 1917 श्योपुर, मध्य प्रांत और बरार (वर्तमान में चंबल संभाग, मध्य प्रदेश) में हुआ था । इनका निधन 11 सितम्बर 1964 को भोपाल में हुआ था जब इनकी उम्र 46 वर्ष थी । यह हिंदी सहिय्त के लेखक, कवि, निबंधकार, साहित्यिक आलोचक, राजनीतिक आलोचक थे। इन्हें बचपन से ही बहुत स्नेह और प्यार मिला था क्योकि माधव जी जो पुलिस विभाग के इंस्पेक्टर थे उनकी पहले भी दो संताने थी जिनकी असमय मृत्यु हो गयी थी । गजानन माधव मुक्तिबोध को घर पर बचपन में बाबु शाहब कह कर पुकारा जाता था । इन्होने समय को माध्यम मान कर जीवन मूल्यों और समय की संस्क्रति को रचने के प्रयास किये है।
गजानन माधव मुक्तिबोध की पहली रचना तारसप्तक थी जो एक महाकाव्य है । गजानन माधव की चेतना का निर्माण प्रगतिवाद के साथ साथ आधुनिकता वाद के आपस में जुड़ने और मेल खाने से हुआ था। गजानन जी माधव कविता को एक सांस्कृतिक रीति समझते हैं न की केवल भावाभिव्यक्ति । मुक्तिबोध की प्रसिद्ध कविताएँ बरगद, अंधेरा, बावड़िया और तालाब रही है।
चांद का मुंह टेढ़ा है किस विधा की रचना है?
चांद का मुंह टेढ़ा है काव्य विधा में रचित है इसलिए यह काव्य, कविता या पद्य विधा के अंतर्गत आती है । जेसा की हम पढ़ चुके है की गजानन जी माधव लेखक, कवि, निबंधकार, साहित्यिक आदि थे जिस कारण वे अनेक विधाओ में रचनाएँ किया करते थे ।
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