भारत में अनेक धर्मो को मानने वाले लोग मोजूद है इसीलिए यहा सभी धर्मो को बराबर सम्मान मिले इसलिए भारत में धर्मनिरपेक्षता को स्थान दिया गया है। आज का प्रश्न है धर्मनिरपेक्षता से आपका क्या अभिप्राय है? आइये जानते है इस बारें में कि धर्मनिरपेक्षता का क्या अर्थ है?
धर्मनिरपेक्षता से आपका क्या अभिप्राय है?
धर्मनिरपेक्षता को पंथनिरपक्षता या सेक्युलरवाद भी कहा जाता है। धर्मनिरपेक्षता से अभिप्राय है कि धार्मिक संस्थानों व धार्मिक उच्चपदधारियों से सरकारी संस्थानों को अलग रखना तथा राज्य के संचालन तथा नीति-निर्धारण में धर्म का हस्तक्षेप नहीं होता है। हर धर्म के व्यक्ति को समान रूप से देखा जाएगा। किसी के साथ भी धर्म के आधार पर भेद भाव नही किया जाएगा। धर्मनिरपेक्षता के अंतर्गत इन लोगो को भी सम्मान मिलता है जो किसी भी धर्म का पालन नही करते है। सविधान के भाग-3 में अंकित मौलिक अधिकारों के अंदर धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को अनुच्छेद-25 से 28 के माध्यम से स्पष्ट किया गया है। भारत के संविधान में किसी भी एक धर्म को मुख्य नही माना गया है, हर किसी को अपनी इच्छा के अनुसार धर्मो का पालन करने का अधिकार है। धर्मनिरपेक्षता का यह बिलकुल भी मतलब नही है कि आप अपने धर्म का तो पालन करे पर किसी दुसरे धर्म का अपमान करे धर्मनिरपेक्षता का अर्थ सभी धर्मो का सम्मान करना भी है।
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