इत्यादि में कौनसी संधि है?

इत्यादि में कौनसी संधि है?

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By Shubham Jadhav

आइये जानते हैं संधि क्या होता है? जब दो शब्द मिलते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि और दूसरे शब्द की पहली ध्वनि आपस में मिलकर जो परिवर्तन लाते हैं उसे संधि कहते हैं। अगर इसे दूसरे शब्द में बताया जाए तो जब दो शब्द आपस में मिलकर कोई तीसरा शब्द बनाते हैं तब जो परिवर्तन होता है उसे संधि कहते हैं। अब हम जानेंगे कि इत्यादि में कौनसी संधि है?

इत्यादि में कौनसी संधि है?

इत्यादि में यण संधि है। ‘इत्यादि’ का अर्थ ‘इसी प्रकार और भी, वगैरह आदि’ होता है। ‘इत्यादि’ का उचित संधि विच्छेद ‘इति + आदि’ होता है। इ, ई के आगे कोई विजातीय (असमान) स्वर होने पर इ ई को ‘य्’ हो जाता है। उ, ऊ के आगे किसी विजातीय स्वर के आने पर उ ऊ को ‘व्’ हो जाता है। ‘ऋ’ के आगे किसी विजातीय स्वर के आने पर ऋ को ‘र्’ हो जाता है, इन्हें यण संधि कहते हैं । जैसे – पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा आदि।

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