चैती में कौनसी संधि है? जानने से पूर्व हम जानेंगे की संधि क्या होता है? जब दो शब्द मिलते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि और दूसरे शब्द की पहली ध्वनि आपस में मिलकर जो परिवर्तन लाते हैं उसे संधि कहते हैं। अगर इसे दूसरे शब्द में बताया जाए तो जब दो शब्द आपस में मिलकर कोई तीसरा शब्द बनाते हैं तब जो परिवर्तन होता है उसे संधि कहते हैं। आइये बताते हैं कि चैती में कौनसी संधि है?
चैती में कौनसी संधि है?
‘चैती’ शब्द में सन्धान स्वर – सन्धि या अच् सन्धि का प्रयोग किया गया है। सन्धान स्वर – सन्धि या अच् सन्धि की बात की जाए तो यह दो स्वरों का सन्धान अथवा मेल होता है। ‘चैत’ शब्द का अर्थ ‘चैत महीने में होने वाला’ होता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित रूप से समझाये गए हैं :-
कल्प + अंत = कल्पांत
गिरि + इंद्र = गिरींद्र
भानु + उदय = भानूदय
देव + इंद्र = देवेंद्र
एक + एक = एकैक
प्रति + उपकार = प्रत्युपकार
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