इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि प्रेम का पीर किस कवि को कहा जाता है?
प्रेम का पीर किस कवि को कहा जाता है?
प्रेम का पीर कवि घनानंद जी को कहा जाता है। क्योकि इनका प्रेम वर्णन, वैधानिकता, अति-भावुकता व अपने साथी के प्रति एकनिष्ठता से युक्त हुआ करता था। साथ ही यह वियोग शृंगार के प्रधान मुक्तक कवि थे क्योकि इनकी रचनओं में स्वानुभूति का साहित्य है न कि सहानुभूति का।
इनका जन्म १६७३ में हुआ था इनके बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त नही है यहा तक की इनका जन्म स्थान और इनके पिताजी के नाम के बारे में भी जानकारी उपलब्ध नही है।
यह जीवन भर राधा-कृष्ण सम्बंधी गीत, कवित्त-सवैये लिखते रहे हैं एवं इनके द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 41 है। जिसमे कवित्त संग्रह, सुजान विनोद, सुजान हित, वियोग बेली काफी प्रसिद्ध है। यह रीतिकाल के रीतिमुक्त काव्यधारा के श्रेष्ठ कवि थे जिनकी रचनाओं में श्रृंगार रस का प्रयोग हुआ है।
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